जय शिव-शम्भू

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** सावन जल बूंद रिमझिम बरसे,आ गया सोमवार, मन हरसे।शंभू नाथ मना शिवाय सुमरूँ,मैं बन कावड़िया मगन झुमरूँ। बम-बम हर-हर शिवाले गूंजे,मन मेरा भोला दरस सूझे।बाज चिमटा सँग…

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वनवासी कन्या

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* कन्या है वनवासिनी, रहे प्रकृति के संग।दूर रहे संसार से, उसका अपना ढंग॥उसका अपना ढंग, लगे वह भोली-भाली।नाचे मृगकुल बीच, खुशी से दे दे ताली॥कोमल शांत…

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सृजन बना ईश वंदन

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार-१५ सृजन का नशा निराला है,शब्दों में इसे ढाला है।समझ सको तो तुम समझ लो,नहीं तो अक्षर काला है॥ प्रश्न करूं जब मैं वक्त से,कलम…

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भिखारिन

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** एक भिखारिन,चीथडों में लिपटीकोने में सिमटी,मांग रही थी भीखआने-जाने वालों को,सुखी रहने कीदे रही थी सीख। मैंने पूछा,-हष्ट-पुष्ट लगती होफिर भी,भीख मांग कर खाती हो। वो कुछ…

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चाँद क्यों मुस्कुरा रहे हो!

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कहो चाँद, तुम आज क्यों इतना मुस्कुरा रहे हो!कोई तो बात है चाँद, कहो मुझसे क्यों छुपा रहे हो ? चाँद कारे-कारे बदरा में आज क्यों…

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प्रेम पथ पर बढ़

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** प्रीति प्यार माया मोह,प्रेम पथ का मार्ग हैज़िन्दगी में यह एक,सबसे सुखदायी सन्मार्ग है। प्रेम पथ पर आगे बढ़,नहीं रख कोई उम्मीदयही कहलाता है प्रेम पथ,सब बन जाते हैं…

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है लचर आदमी

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* बा ख़बर आदमी।बा असर आदमी। बे असर ही रहे,बे ख़बर आदमी। लड़ रहा रात दिन,इक समर आदमी। कुछ नहीं कर सके,है लचर आदमी। चाहता…

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सृजन में ही हर सुख

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** नशे के रूप अनेक हैं पर,मनुज कौन-सा अपनाता हैएक ले जाता पतन की राह,दूजा जीवन सुलभ बनाता है। उससे पूछो नशा सृजन का,जिसने सृजन को शौक बनायाडूबा…

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बारिश होती है वैसे अभी भी

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** काली घटा छा जाती है जब-जब,मनमोर चाहे नाचे, भीग जाए अबउत्साहित है मन अभी भी, लेकिनहताश, असहाय हो गया है तन।बारिश होती है वैसे अभी भी,रोम-रोम भीग जावे…

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तुम तो हो परदेस पिया जी…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** सूने महल अटारी सूनी, मन का आँगन सूना है।तुम तो हो परदेस पिया जी, मेरा सावन सूना है॥ जबसे तुम परदेस सिधारे, मन को चैन नहीं…

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