तुम तो हो परदेस पिया जी…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** सूने महल अटारी सूनी, मन का आँगन सूना है।तुम तो हो परदेस पिया जी, मेरा सावन सूना है॥ जबसे तुम परदेस सिधारे, मन को चैन नहीं मिलता,बिन पानी अरु बिन माली के, सरसिज कभी नहीं खिलता।तुम बिन ये सावन है फीका, दर्द हृदय में दूना है,तुम तो हो परदेस पिया जी, … Read more

बरसात अभी आई नहीं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ सावन आ चुका, बरसात अभी आई नहीं।नभ में नाद लिये गीतों की बरसात अभी आई नहीं॥ क्या करें मेघ हठी चाँद निकल आता है,घटा पनिहारिनी का रंग बदल जाता है।काली- काली घटा, रूठी बैठी अटा,जैसे चाँद के मुस्काने की वो रात अभी आई नहीं।सावन आ चुका, बरसात…॥ चाँद तो चाँद सितारों ने ज़िद्द … Read more

करम के भरोसे…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* करम के भरोसे रहता बेकार,मन जीवन के कर्म सजा ले।कर ले भव को पार॥ तन की काया, मन की माया,सब जाएंगे छूट।हाथ पसारे जाना जग से,आया बाँधे मूठ।त्याग तपस्या से चुकता कर,जीवन, साँँस, उधार।करम के भरोसे…॥ संगी-साथी, सब इस जग में,साथ न जाते पार।कर्मों से ही सुख-दु:ख बनते,जीवन के … Read more

गीत प्रेम के मैंने गाए

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा २८, १६-१२ यति, अंत दो गुरू एक दूजे में हम रच गये, बनती गयी कहानी।गीत प्रेम के मैंने गाए, हो गयी मैं दिवानी॥ प्रेम पाश में बांधा मुझको, बाँहें मेरी पकड़ी,प्रेम जाल एक विकट जाला, खुद फंस जाती मकड़ी।हर दिन अब तो खुशियाँ भर दे, रात लगती सुहानी,गीत प्रेम के … Read more

मत शूल बनो तुम

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** ख़ार बनो मत शूल बनो तुम,मत काग़ज़ के फूल बनो तुम।ले जाए हर आँधी जिसको,हरगिज़ मत वो धूल बनो तुम॥ अपने पथ पर बढ़ते जाओ,हर पल ऊपर चढ़ते जाओ।होड़ करो मत औरों की बस,हर शय के माक़ूल बनो तुम।ख़ार बनो मत शूल बनो तुम…॥ काम करो तुम अच्छे जग में,सबसे बनो … Read more

शिखर पहुँच झंडा फहराएं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ हम इक गीत सुनायें,भारत माँ की कीरति गायें।भारत की प्राचीर हिमालाशिखर पहुँच झंडा फहरायें॥ दक्षिण सागर चरण पखारे,प्राची रवि आरती उतारेछाई है चहुं दिश हरियाली,प्राणों को सुख देने वाली।लहर-लहर खेतों में अपने,फसल खड़ी लहराये।भारत की प्राचीर…॥ भारत का हर कण है प्यारा,जिसमें बसता प्राण हमाराऐसे भारत में रहता हूँ,कथा उसी … Read more

पावस

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ओ मेघा रे…. गीत गा रही वर्षा रानी, आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है॥ गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी धूप,तो कभी नीर है,आशा और निराशा॥वरुणदेव की दया हो गई, हर प्राणी पुलकित है,बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है…॥ स्रोत नीर के … Read more

जीवन कर्तव्य में…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* जीवन कर्तव्य में करता हेर-फेर,लेकिन हर वक्त से होती है सबेर।देन में भी मंजिल की, पल नहिं रुकता वक्त,जीवन नहि सोचता, अब होती है देर।जीवन कर्तव्य में… अंधियारों को किरणें, आन मिटातीं,उजियारों से ये धरती खूब सजातीं।सब आ के दूर गगन से, बिछतीं हैं धरती पे,तब भी तो लगता … Read more

प्रकृति

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मोर करे है नृत्य मनोहर,प्रीत दिखावे किसे घनी।कोयल गाये मधुरिम वाणी,मीठे से रस गीत सनी। हरियाली है चंहु दिशि छायी,मन उपवन में हर्ष खिला।बगियन में हैं झूला झूले,जीवन को उत्साह मिला।अद्भुत-सा संसार बना है,बिजली घन में आज ठनी। तरह-तरह के पुष्प खिले हैं,खेतों की शोभा न्यारी।बागों में कोयलिया गाये,लगती है सबको प्यारी।भौंरे अपने … Read more

दिल को भी खुद के जैसा…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दिल को भी खुद के जैसा, भगवान तुमने बनाया,कोई, दिल को भी देख न पाया।कोई, दिल को भी देख न पाया॥ सागर-सी इच्छा देकर, जीवन का खेल रचाया।कैसे, गागर में सागर आया।कैसे, गागर में सागर आया,दिल को भी खुद के जैसा…॥ तकदीरों के भी खेल निराले,तदबीर से जो चाहे … Read more