कुल पृष्ठ दर्शन : 445

You are currently viewing पावस

पावस

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

*******************************************

ओ मेघा रे….

गीत गा रही वर्षा रानी, आसमान शोभित है।
बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है॥

गर्मी बीती आई वर्षा,
चार माह चौमासा।
कभी धूप,तो कभी नीर है,
आशा और निराशा॥
वरुणदेव की दया हो गई, हर प्राणी पुलकित है,
बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है…॥

स्रोत नीर के सूख गए थे,
रुकने को साँसें थीं।
नित्य उदासी में मन रहता,
गढ़ती नित फाँसें थीं॥
बारिश की बूँदों से पर अब, मिला खुशी का ख़त है,
बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है…॥

बेचैनी में मन खोया था,
देह हुई थी बेदम।
पीर, वेदना बहुत बढ़ी थी,
सता रहा था नित ग़म॥
इन मेघों का अभिनंदन है, लगता सुखद सतत् है,
बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है…॥

बहा पसीना रोज़ अनवरत्,
अब पावस का गायन।
जल की बूँदें करतीं देखो,
मौसम का अभिनंदन॥
सकल उदासी विदा हो गई, हर पल उल्लासित है,
बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है…॥

सूखा है तो, बाढ़ कहीं है,
सड़कों पर है पानी।
चौमासे की भैया देखो,
बिलकुल अलग कहानी॥
तीज और त्योहार महकते, पावनता हर्षित है,
बहुत दिनों के बाद धरा खुश,तबियत आनंदित है…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply