जग जननी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प: मात्रा २८, १६-१२ पर यति,चरणांत दो गुरु,पवर्ग का निषेध,अधर नहीं लगने हैं। जग जननी अर्चन कर तेरा,चरनन शीश नवाऊँँ।दर्शन अर्चन तेरा करके,तेरे ही गुण…

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तिरंगा प्यारा

कन्हैया साहू ‘अमित’भाटापारा (छत्तीसगढ़)*********************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. नीलगगन पर आज,लहर लहराय तिरंगा।तन-मन जीवन दान,त्याग सिखलाय तिरंगा। अति अकूत अनमोल,अतुल अपनी आजादी।अवनी से आकाश,अखिल अक्षय यह वादी।गणनायक गणतंत्र,गर्व की गौरव…

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अमर रहे गणतंत्र हमारा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*********************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. अमर रहे गणतन्त्र हमारा,जन-गण-मन का नारा है।आसमान पर देख तिरंगा,विश्व गगन का तारा है॥ सदियों से हम ठोकर खाएँ,मिली आज आजादी…

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भारत के सच्चे सेनानी

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष.......... भारत के सच्चे सेनानी,सबका मान बढ़ाते है।रण पर कुर्बानी से अपने, झण्डा वो फहराते हैं॥ है शहीद कितने भारत में,कितना रक्त बहाया…

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लौट पिया जल्दी घर आना

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** काव्य संग्रह हम और तुम से रचना शिल्प:सरसी छंद विधान- १६ + ११ मात्रा,पदांत २१(गाल) चौपाई+दोहा का सम चरणबीत बसंत होलिका आई,अब तो आजा मीत।फाग रमेंगें रंग बिखरते,मिल…

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आभार

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** भाव प्रकट कर,जीवित हो कर।सबका बन करll कृतज्ञ बनोगे,दिल में होगे।साथ चलोगेll उपकृत बनना,सदा चहकना।संग निबहनाll भूल न जाना,भान कराना।स्मरण दिलानाll हाव-भाव से,चाल-चलन से।पावन मन सेll…

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स्वार्थ प्रेम नहीं

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से.... प्रेम करो निस्वार्थ भाव से,स्वार्थ प्रेम नहीं है।त्याग और विश्वास जहाँ हो,सच्चा प्रेम वही है॥ बिना प्रेम के ये जीवन…

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नववर्ष

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************** नये वर्ष की पावन बेला,चहुँदिशि खुशियाँ छाई है।देखो जल थल नभ में सारे,अरुणाई घिर आई हैll पंछी कलरव करते देखो,नव प्रभात की बेला में।घूम रहे…

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दिसम्बर लेता जा…

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************** oooooooooooooooooलेता जा ये साल,दिसम्बर तुझसे विनती। 'कोरोना' से मौत,नहीं अब इसकी गिनती॥ खतरनाक यह साल,कहर है ये बरपाया। अनुशासन का रोक,किसी को रास न आया॥ भारत…

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नववर्ष

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* (रचनाशिल्प:सप्ताक्षरवृत्ति-गण-न न ग (१११-१११-२) नवल बरस है।सुखद सरस हैllखगकुल चहके।उपवन महकेll हर जन खुश हो।सब कुछ शुभ होllजग सम रस हो।सब इक सम होll नवरस बरसे।सुख…

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