जग जननी
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प: मात्रा २८, १६-१२ पर यति,चरणांत दो गुरु,पवर्ग का निषेध,अधर नहीं लगने हैं। जग जननी अर्चन कर तेरा,चरनन शीश नवाऊँँ।दर्शन अर्चन तेरा करके,तेरे ही गुण…