हरिभक्ति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** अँधियार चारों ओर बिखरा,सूझता कुछ भी नहीं।उजियार तरसा राह को अब,बूझता कुछ भी नहीं॥उत्थान लगता है पतन सा,काल कैसा आ गया।जीवन लगे अब बोझ हे प्रभु,यह अमंगल खा गया॥ हे नाथ,दीनानाथ भगवन,पार अब कर दीजिए।जीवन बने सुंदर,मधुरतम,शान से नव कीजिए॥भटकी बहुत ये ज़िन्दगी तो,नेह से वंचित रहा।प्रभुआप बिन मैं था … Read more

माता,भर दो नव विश्वास

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* करूँ वंदना शारद माँ की,करती हूँ यह आस।नेक सृजन का पथ हो माता,भर दो नव विश्वास॥ जनहित का उद्धार करे हम,सृजन गढ़े अनमोल।शब्द शब्द में सार समाये,मन जाए नित डोल।हृदय भाव की अभिव्यक्ति से,फैले नित्य उजास।करूँ वंदना शारद माँ की,करती हूँ यह आस॥ लेखन में भाईचारा हो,प्रेम भाव का सार।लेखन से … Read more

जग जननी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प: मात्रा २८, १६-१२ पर यति,चरणांत दो गुरु,पवर्ग का निषेध,अधर नहीं लगने हैं। जग जननी अर्चन कर तेरा,चरनन शीश नवाऊँँ।दर्शन अर्चन तेरा करके,तेरे ही गुण गाऊँ॥ जीव जगत जननी जगदीश्वरि,जीवन रक्षा कर दो।दया दृष्टि दीनन के दु:ख हर,संकट सारे हर दो॥ रहें स्वस्थ जो जहाँ भी रहें,जीवन में सुख होवे।धरा … Read more

तिरंगा प्यारा

कन्हैया साहू ‘अमित’भाटापारा (छत्तीसगढ़)*********************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. नीलगगन पर आज,लहर लहराय तिरंगा।तन-मन जीवन दान,त्याग सिखलाय तिरंगा। अति अकूत अनमोल,अतुल अपनी आजादी।अवनी से आकाश,अखिल अक्षय यह वादी।गणनायक गणतंत्र,गर्व की गौरव गाथा।भारत भरणी भूमि धूल लग दमके माथा।रक्षक सक्षम शैल,हिमालय कंचनजंगा।नीलगगन पर आज,लहर लहराय तिरंगा।तन-मन जीवन दान,त्याग बतलाय तिरंगाll संविधान सहकार,सचेतक सबल सजीला।कर्म और अधिकार,एक ही … Read more

अमर रहे गणतंत्र हमारा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*********************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. अमर रहे गणतन्त्र हमारा,जन-गण-मन का नारा है।आसमान पर देख तिरंगा,विश्व गगन का तारा है॥ सदियों से हम ठोकर खाएँ,मिली आज आजादी ये।चलो सहेजें अपनी धरती,अब मत हो बर्बादी ये॥वसुंधरा माँ के आँचल को,हमने आज सँवारा है।अमर रहे गणतन्त्र हमारा… शष्य श्यामला हरी-भरी हो,बंजर धरती की क्यारी।जय … Read more

भारत के सच्चे सेनानी

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. भारत के सच्चे सेनानी,सबका मान बढ़ाते है।रण पर कुर्बानी से अपने, झण्डा वो फहराते हैं॥ है शहीद कितने भारत में,कितना रक्त बहाया है,हिंदुस्तान की शान-बान में,मरकर फर्ज निभाया है।साहस रखकर फर्ज निभाते,दुश्मन मार गिराते हैं,रण पर कुर्बानी से अपने,झण्डा वो फहराते हैं॥ घर पर बैठी घरवाली जो,अपना … Read more

लौट पिया जल्दी घर आना

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** काव्य संग्रह हम और तुम से रचना शिल्प:सरसी छंद विधान- १६ + ११ मात्रा,पदांत २१(गाल) चौपाई+दोहा का सम चरणबीत बसंत होलिका आई,अब तो आजा मीत।फाग रमेंगें रंग बिखरते,मिल गा लेंगे गीत। खेत फसल सब हुए सुनहरी,कोयल गाये फाग।भँवरे तितली मन भटकाएँ,हम तुम छेड़ें राग। घर आजा अब प्रिय परदेशी,मैं करती फरियाद।लिख कर भेज … Read more

आभार

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** भाव प्रकट कर,जीवित हो कर।सबका बन करll कृतज्ञ बनोगे,दिल में होगे।साथ चलोगेll उपकृत बनना,सदा चहकना।संग निबहनाll भूल न जाना,भान कराना।स्मरण दिलानाll हाव-भाव से,चाल-चलन से।पावन मन सेll बन आभारी,उपकृतकारी।शिष्टाचारीll

स्वार्थ प्रेम नहीं

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से…. प्रेम करो निस्वार्थ भाव से,स्वार्थ प्रेम नहीं है।त्याग और विश्वास जहाँ हो,सच्चा प्रेम वही है॥ बिना प्रेम के ये जीवन ही,लगता सूना सूना।प्रेम होय यदि जीवन में तो,विश्वास बढ़े दूना॥ ईश्वर की स्वाभाविक कृति है,प्रेम कृत्रिम नहीं है।प्रेम में होती उन्मुक्तता,स्वच्छन्दता नहीं है॥ प्रेम बस … Read more

नववर्ष

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************** नये वर्ष की पावन बेला,चहुँदिशि खुशियाँ छाई है।देखो जल थल नभ में सारे,अरुणाई घिर आई हैll पंछी कलरव करते देखो,नव प्रभात की बेला में।घूम रहे सब बच्चे-बूढ़े,नये वर्ष के मेला मेंllसुखद सुहाना मौसम भी है,चले पवन पुरवाई है।नये वर्ष की पावन बेला… हर घर खुशहाली का मंजर,नहीं रोग का साया … Read more