हरिभक्ति
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** अँधियार चारों ओर बिखरा,सूझता कुछ भी नहीं।उजियार तरसा राह को अब,बूझता कुछ भी नहीं॥उत्थान लगता है पतन सा,काल कैसा आ गया।जीवन लगे अब बोझ हे प्रभु,यह अमंगल खा गया॥ हे नाथ,दीनानाथ भगवन,पार अब कर दीजिए।जीवन बने सुंदर,मधुरतम,शान से नव कीजिए॥भटकी बहुत ये ज़िन्दगी तो,नेह से वंचित रहा।प्रभुआप बिन मैं था … Read more