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बसंती अति मन भावन

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..

माघ बसंती अति मन भावन,
सुन्दर सुखद निराली है।
आम्र बौर की झुकती डाली,
कोयल भी मतवाली है॥

जन्मदिवस माँ सरस्वती का,
ऋतु बसंत की बेला है।
तिथि पंचम शुभ दिन है आई,
फूलों वाला मेला है॥
ज्ञान बाँटती सप्त स्वरों की,
शारद भोली भाली है।
माघ बसंती अति मन भावन…

दुल्हन जैसी ओढ़ चुनरिया,
अमराई घिर आई है।
सेम्हर और पलास सभी के,
दिल में आग लगाई है॥
धरती की सुंदरता सचमुच,
मन को हरने वाली है।
माघ बसंती अति मन भावन…॥

शीत उष्ण सम मौसम सुन्दर,
वसुधा कितनी प्यारी है।
नीला-नीला अम्बर देखो,
पीली सरसों क्यारी है॥
लहराती है मंद पवन से,
गेहूँ सरसों बाली है।
माघ बसंती अति मन भावन…॥

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