जय माता दी वन्दना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शक्ति, भक्ति और दिखावा… शुक्ला आश्विन मंगला, शारदीय त्यौहार।नव दुर्गा आराधना, कीर्ति मिले सुख सार॥ अभिनन्दन स्वागत करें, नवरात्रि त्यौहार।पूजन नित नवशक्ति से, मानवता उपकार॥ नीति-प्रीति सुख संपदा, परहित शान्ति सम्मान।नवदुर्गे नवरात्रि में, दे सम्बल वरदान॥ सबसे सबकी बन्धुता, हो संस्कृति अभिमान।शैलपुत्री तू कृपा कर, सदा राष्ट्र सम्मान॥ सबसे … Read more

माँ तुम आ गई

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* दुर्गा माँ तुम आ गईं, हरने को हर पाप।संभव सब कुछ है तुम्हें, तेरा अतुलित ताप॥ बढ़ता ही अब जा रहा, जग में नित अँधियार।करना माँ तुम वेग से, अब तो तम पर वार।। भटका है हर आदमी, बना हुआ हैवान।हे माँ! दे दो तुम ज़रा, मानव-मन को मान॥ सद्चिंतन तजकर … Read more

बदलो जीवन चरित को

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बदलो जीवन चरित को, भर पौरुष सतरंग।रखो भाव पावन हृदय, भारत भक्ति उमंग॥ बढ़ो अटल संकल्प पथ, बनो राष्ट्र पहचान।परमारथ पौरुष सफल, परहित जीवन दान॥ आन-बान आदर वतन, बनो राष्ट्र वरदान।राष्ट्र प्रथम मानो हृदय, राष्ट्र धर्म सम्मान॥ नश्वर सत्ता क्षणिक सुख, माने जीवन सार।अहंकार के अनल में, जलने को … Read more

मानवता से अनुबंध

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** आज करें अनुबंध शुभ, मानवता के साथ।दीन-दुखी के पीर पर, सदा बढ़ाएं हाथ॥ मनुज हृदय में प्रेम रख, काज करें नव एक।दुखी प्रफुल्लित जब दिखें, हुआ कर्म तब नेक॥ नारी के सम्मान में, करते जाएँ कर्म।सृष्टि मातु ही शान है, यही हमारा धर्म॥ बाल-बालिका देश के, है भावी अभिमान।शिक्षा का पथ … Read more

बड़ा बहादुर था लाल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* अंतर्मन स्वाधीनता, सत्य अहिंसा मंत्र।शास्त्री-गांधी शिष्य-गुरु, हिला ब्रिटिश खल तंत्र॥ तन मन धन अर्पण वतन, सत्याग्रह पथ क्रांति।आज़ादी अरमान बस, सुख वैभव बल शान्ति॥ मुक्ति मिली पराधीनता, भारत हुआ स्वतंत्र।संविधान गणतंत्र बन, गांधी सच पथ मंत्र॥ खुशियों की नव अरुणिमा, सुखद देश स्वाधीन।बन प्रकाश उन्नति वतन, सम समाज श्री … Read more

धन्यवाद ज्ञापन पितर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** पावन मंगल भोर यह, पितृपक्ष जलदान।तर्पण-अर्पण पितर का, पुण्य अर्घ्य दें मान॥ पितरों को श्रद्धा प्रकट, तील कुश फलदान।पाऍं आशीर्वाद को, देकर कुल सम्मान॥ पितरों को करने मुदित, तर्पण करें प्रणाम।पिण्ड श्राद्ध करते तनय, पितृपक्ष अविराम॥ शास्त्रों में महिमा विदित, तर्पण पितृ महत्व।पितर स्वयं आते धरा, दे आशीष ममत्व॥ … Read more

हिन्दी जीवन की कला

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* हिन्दी जीवन की कला, हिन्दी जीवन प्रीति।हिन्दी हिन्दुस्तान की, जीवन रस संगीत॥ संस्कार से पूरिता, सदाचार आलोक।हिन्दी भाषा मधुरिमा, श्रवण हरे मन शोक॥ बोधगम्य सबसे सहज, लेखन पाठ सम्बोध।विद्यालय शिक्षण सरल, हिन्दी में बहुशोध॥ शिक्षक शिक्षा जगत में, मानक है अभिव्यक्ति।संविधान सम्मत वतन, लोकतंत्र दे शक्ति॥ शब्दकोश है कोटिशः, … Read more

मिले मनुज खुशियाँ कहाँ!

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मिले मनुज खुशियाँ कहाँ, बिन पौरुष संसार।मिले सफलता श्रम बिना, खुशियाँ कहँ संसार॥ बंदी चारण भाट सम, जीवन बंटाधार।शासन सत्ता संविदा, दिखते भ्रष्टाचार॥ दावों की बरसात में, अब चुनाव आधार।लोकतंत्र लाचार अब, मोह क्रोध व्यभिचार॥ बिलख रही माँ भारती, देख देश गद्दार।कलह द्वेष चाहत विभव, दुर्जन कामाचार॥ अनुशासन जनता … Read more

कैसा यह अभिशाप?

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कटते जाते पेड़ नित, बढ़ता जाता ताप।ज़हरीली सारी हवा, कैसा यह अभिशाप॥ द्रव ईंधन की है खपत, बिजली जलती ख़ूब।हरियाली नित रो रही, सूख गई सब दूब॥ यंत्रों ने दूषित किया, मौसम और समाज।हमने की है मूर्खता, हम ही भुगतें आज॥ नगर घिर गये धुंध में, धूमिल सारे गाँव।धुँआ-धुँआ जीवन हुआ, … Read more

जिसका जैसा आचरण

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जिसका जैसा आचरण, वैसा हो व्यवहार।पहने सद्गुण आवरण, रहते छिपे सियार॥ सत्य चला जो आमरण, एक असत दुस्वार।ऐसा कोई अवतरण, कहाँ हुआ अवतार॥ होता जब तक जागरण, हिरदय में भिनसार।तब तक थक कर तन चरण, उठ जाता संसार॥ उद्दंडता का व्याकरण, जो पढ़ते व्यभिचार।जाने क्या वह राम को, मर्यादा आचार॥ जो रत … Read more