कुल पृष्ठ दर्शन : 289

You are currently viewing माँ तुम आ गई

माँ तुम आ गई

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

दुर्गा माँ तुम आ गईं, हरने को हर पाप।
संभव सब कुछ है तुम्हें, तेरा अतुलित ताप॥

बढ़ता ही अब जा रहा, जग में नित अँधियार।
करना माँ तुम वेग से, अब तो तम पर वार।।

भटका है हर आदमी, बना हुआ हैवान।
हे माँ! दे दो तुम ज़रा, मानव-मन को मान॥

सद्चिंतन तजकर हुआ, मानव गरिमाहीन।
दुर्गा माँ दुर्गुण हरो, सचमुच मानव दीन॥

छोटी-छोटी बच्चियाँ, हैं तेरा ही रूप।
उन पर भी तुम ध्यान दो, बाँटो रक्षा-धूप॥

हम सब हैं तेरा सृजन, तू सचमुच अभिराम।
दुर्गा माँ तू तो सदा, रखती नव आयाम॥

ये पल पावन हो गए, लेकर तेरा नाम।
यह जग दुर्गे है सदा, तेरा ही तो धाम॥

दुर्गा माँ तुम वेगमय, तुम तो हो अविराम।
धर्म,नीति तुमसे पलें, साँचा तेरा नाम॥

दुर्गा माँ तुमने किया, मार असुर कल्याण।
नौ रूपों में तुम रहो, पापी खाते बाण॥

सिंहवाहिनी दिव्य तुम, हम सब तेरे लाल।
दर्शन दो,हमको करो, हे माँ!आज निहाल॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।