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मानवता से अनुबंध

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’
कोरबा (छत्तीसगढ़)
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आज करें अनुबंध शुभ, मानवता के साथ।
दीन-दुखी के पीर पर, सदा बढ़ाएं हाथ॥

मनुज हृदय में प्रेम रख, काज करें नव एक।
दुखी प्रफुल्लित जब दिखें, हुआ कर्म तब नेक॥

नारी के सम्मान में, करते जाएँ कर्म।
सृष्टि मातु ही शान है, यही हमारा धर्म॥

बाल-बालिका देश के, है भावी अभिमान।
शिक्षा का पथ दें सदा, दूर करें अज्ञान।।

बिलख रहे जो भूख से, दुखद रहे परिवेश।
अपने शुभ निज ध्येय से, हरें दीन का क्लेश॥

पीड़ित आज किसान है, आत्मदाह की राह।
उनके हक अधिकार को, पूर्ण करें शुभ चाह॥

निर्धन जन अधिकार को, छीन रही सरकार।
भूख-प्यास से मर रहे, बिखर रहा आधार॥

मानवता अनुबंध को, धारें अपने देह।
दीन-दुखी के पीर पर, बरसाएं शुभ नेह॥

लोकतंत्र की राह पर, जनहित का हो कार्य।
सच्चा नेता चुन सभी, मत हक कर लें धार्य॥

मनुज मनुज शुभ ध्येय को, धर ले जब स्कंध।
सुखद श्रेष्ठ संसार हो, फैले भाव सुगंध॥

कलयुग में नव सोच से, करना है अनुबंध।
मानवता चहुंओर हो, धारें यह सौगंध॥

परिचय-डॉ. आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा, छत्तीसगढ़) में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत डॉ. आजाद को हिंदी, अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक. (व्यवहारिक भूविज्ञान) में एवं कार्यक्षेत्र-शा.इ.वि.स्ना. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। लेखन विधा-छंदबद्ध कविता (हिंदी , छत्तीसगढ़ी भाषा) गीत, आलेख व मुक्तक है। आपकी पुस्तक-छत्तीसगढ़ संपूर्ण दर्शन (विशाल छंदमयी साझा संकलन), आशा की अभिव्यंजना (गीत संग्रह) प्रकाशित है। बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख, शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं।
‘छत्तीसगढ़ संपूर्ण दर्शन’ (१०१९ पृष्ठ का ग्रंथ) का सम्पादकीय कार्य भी डॉ. आजाद ने किया है। इस विशाल संकलन हेतु इन्हें राष्ट्रीय मानद अलंकरण, राष्ट्रीय श्रेष्ठ लेखक सम्मान, राष्ट्रीय एपीजे अब्दुल कलाम सम्मान मिला है, साथ ही ‘गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड’, राष्ट्रीय बेस्ट आइकन अवार्ड व साहित्य में राष्ट्रीय बेस्ट एक्सीलेंस सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं। डॉ. आजाद ने विशेष उपलब्धि में -दूरदर्शन, आकाशवाणी व शोध-पत्र हेतु सम्मान प्राप्त किया है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित संदेशप्रद गद्य पद्य पर सृजन करना है।इनका ध्येय है कि, सृजन आधार से प्रेरित होकर हृदय भाव में परिवर्तन हो और मनुष्य नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जनकवि कोदूराम दलित जी, तुलसी दास, कबीर दास आदि को मानने वाली डॉ.आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (दलित जी के पुत्र) हैं। आपका जीवन इस सार को धारण करता है कि साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन करना सार्थक है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है, यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह, अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”