मीरा की भक्ति
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** थी दीवानी श्याम की,मीरा जिसका नाम।जो युग-युग को बन गई,हियकर अरु अभिराम॥ पिया हलाहल,पर अमर,पाया इक वरदान।श्रद्धा से तो मिल गई,जीवन को नव आन॥ लोक लाज को तज हुई,मीरा भक्तिन रूप।खिली हृदय पावन-मधुर,मीठी-मोहक धूप॥ मीरा खोई श्याम में,श्याम बने मनमीत।नहीं हरा पाया उसे,मीरा पाई जीत॥ इकतारा लेकर सजी,मीरा मंदिर ख़ूब।नाची,गाई,मस्त … Read more