पृथ्वी दिवस
रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… जरूरत आन पड़ी पृथ्वी पर पृथ्वी दिवस मनाने की अपनी धरती के संरक्षण हेतु देखो अलख जगाने की, जूलियन…
रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… जरूरत आन पड़ी पृथ्वी पर पृथ्वी दिवस मनाने की अपनी धरती के संरक्षण हेतु देखो अलख जगाने की, जूलियन…
जसवंतलाल खटीक राजसमन्द(राजस्थान) ************************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष............... धरती माँ,की आँख में,आँसू, वो चीख-चीख,कर कहती है। क्यों,जहर मुझमें,घोल रहे हो, मुझमें,सारी दुनिया रहती हैll तुम थोड़े से,लोभ-लालच में, कल-कारखाने,चलाते…
मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** जीवन के पल जो काँटों से चुभते हों, जो अज्ञान अँधेरा बन मन में अँधियारा भरता हो, पल-पल चुभते काँटों के जख़्मों पे मरहम लगाते…
पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** रचना शिल्प:काफ़िया-आज़,रदीफ़- मैं लिख दूँ सियासी खेल के हर शख्स का राज़ मैं लिख दूँ, बदलते देश के हालात पर अल्फ़ाज़ मैं लिख दूँ।…
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** चुनौतियां बन गया तुम्हारा तिरस्कार, झूठी दुनिया और अपना घर परिवार। देखो भौंक रही हैं मेरी समस्त गज़लें, और अक्षर बन गए…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ होगा जहां अपनों में स्नेह प्यार, खिल जायेंगे वो,घर और परिवार। दोगे यदि माता-पिता को,तुम सम्मान, तो निश्चित ही,पाओगे अपार प्यार॥ महक जायेंगे वो,घर और परिवार,…
शरद कौरव ‘गंभीर’ गाडरवारा (मध्यप्रदेश) ************************************************** कहना सरल करना कठिन, मंजिल को पाने के लिए इस दु:ख भरे संसार में भी, सुख को पाने के लिए। तकलीफ नतमस्तक भी हो…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवनसाथी आज जो,थी पहले अनज़ान। पली बढ़ी तरुणी बनी,तजी गेह अभिमान॥ एकाकी थी जिंदगी,सूना था संसार। मन ख्वाबों से था भरा,अपना हो परिवार॥…
बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** जगत में छाया रे,मेरा भीम महान, हँसते-हँसते कुर्बान हुए हैं,ये भारत की शान। मान दिया,सम्मान इसी ने,जीने की राह दिखाई, तोड़ दिए बन्धन वो पुराने…
डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात ) **************************************************************** उसका दमन,तिरस्कार उसकी यंत्रणा उतनी ही प्राचीन है, जितना कि पारिवारिक जीवन का इतिहास असंगत और मन्द प्रक्रिया में, उसने हिंसा को हिंसा…