प्राण न्योछावर कर दे
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** थक चुका हूँं भारी प्रहार न कर। काट दे गर्दन तू इन्तजार न कर। मेरे अपने भी अपने ना हुए यहां, रणभूमि…
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** थक चुका हूँं भारी प्रहार न कर। काट दे गर्दन तू इन्तजार न कर। मेरे अपने भी अपने ना हुए यहां, रणभूमि…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-७ कहते यों बह पड़ीं दृगों से, अविरल दो मोटी धाराएँ निकल पड़ी ज्यों तोड़ स्वयं ही, पलकों की तमसिल काराएँl तारों-सी हो…
ललित प्रताप सिंह बसंतपुर (उत्तरप्रदेश) ************************************************ अपने विचार मैं सबको बताऊं कैसे, मन में क्या है सबको सुनाऊं कैसेl हरदम किया है प्रयास हँसाने का, अब हँसते हुए को रूलाऊं…
प्रभावती श.शाखापुरे दांडेली(कर्नाटक) ************************************************ काली अंधियारी रात में मेरा साया हँसा मुझ पर, हे मन बावरे काहे खोजे तू उसे जो तेरे साथ नहींl माना कि तेरे पास नहीं है,…
सुबोध कुमार शर्मा शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* यातनाएं सहूँगा मैं तुम्हारे लिए, शर्त यह है जबां से कहो तो सही। बन के फरहाद समझूँगा निज श्रम सफल, दूध सरिता सरिस तुम बहो…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** छाया बसंत अब दिक् दिगंत, है सुरभित छवि बहु दिशि बसंत। फूटे हैं कोमल नवल अंग, तरु-पुष्प-लता लद गये वृंतll मधुरस फैला चहुँओर आज, है…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* बहुत कुछ कर गुजरने को,मचलती भावनाएं जब, नहीं अन्याय सह पाती,रगों में वह रवानी है। न केवल उम्र से ही वास्ता होता है सब उसका, जवानी…
वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************** मन अनहोनी की शंका से, थर-थर-थर-थर कांप रहा है आधी रात हुई है बेटा, पल-पल देखो हाँफ रहा है। अस्पताल जाना है लेकिन, हड़ताल…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* इक मुकम्मल दास्तां है ज़िंदगानी दर्द की। मुस्कुराते लब के पीछे है निशानी दर्द कीl ठोकरों के बीज बो कर सींचती है…
डॉ.नीलम वार्ष्णेय ‘नीलमणि’ हाथरस(उत्तरप्रदेश) ***************************************************** जरा गौर से तुम सुन लो आतंकियों मेरी कहानी। मत भूलो इन दिलों से संसार की प्रीत पुरानी। तुम मिटा रहे हो जिसको,कुदरत अनमोल निशानीll…