दु:ख बस मन का भाव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* भागा सुख को थामने,दिया न सुख ने साथ।कुछ भी तो पाया नहीं,रिक्त रहा बस हाथ॥रिक्त रहा बस हाथ,काल ने नित भरमाया।सुख-लिप्सा में खोय,मनुज ने कुछ नहिं पाया॥जब अंतिम संदेश,तभी निद्रा से जागा।देखो अब है अंत,आज मैं सब तज भागा॥ दु:ख बस मन का भाव है,भाव करे बेचैन।वरना सुख-दु:ख एक से,संतों … Read more

विजयी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** प्यारा मेरा देश यह,विजयी हिंदुस्तान।सदियों से है विश्व गुरु,जाने सकल जहान॥जाने सकल जहान,आज लोहा सब माने।झंडा ऊँचा आज,चले सब शीश झुकाने॥कहे ‘विनायक राज’,यही है सबसे न्यारा।विजयी विश्व महान,देश यह मेरा प्यारा॥

नैतिकता का ज्ञान हो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************** नैतिकता का ज्ञान हो,रखना अपना मान।सदाचरण की राह पर,चलना वीर जवान॥चलना वीर जवान,भावना द्वेष न लाना।सदा सत्य की राह,सभी को तुम्हीं बताना॥कहे ‘विनायक राज’,काम करना गंभीरता।जग में होवे नाम,सदा पथ हो नैतिकता॥

वीणा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** माता वीणा वादिनी,देना मुझको ज्ञान।शीश झुकाऊँ द्वार पे,हूँ बालक नादान॥हूँ बालक नादान,कृपा मुझ पर बरसाना।वीणा की झंकार,सात सुर आप बजाना॥कहे विनायक राज,नहीं मुझको कुछ आता।करो हृदय में वास,शारदा आओ माता॥

धड़कन होती तेज

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*********************************** मन मेरा माने नहीं,कैसे रखूँ सहेज।जब-जब आती याद है,धड़कन होती तेज॥धड़कन होती तेज,करूँ क्या तुम बतलाओ।मेरे प्यारे दोस्त,तुम्हीं अब तो समझाओ॥कहे विनायक राज,आसरा अब है तेरा।मिले उसी का प्यार,चाहता है मन मेरा॥

जीवन

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** दोबारा मिलता नहीं,यह जीवन अनमोल।सबसे मिलना प्रेम से,देना मीठी बोल॥देना मीठी बोल,जगत में हँसना गाना।जीवन के दिन चार,सभी से प्रीत निभाना॥कहे ‘विनायक राज’,बिताना जीवन सारा।धर्म करो उपकार,नहीं मिलता दोबारा॥

झुमका सोहे कान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** नारी का श्रृंगार ये,झुमका सोहे कान।सुन्दर मुख हर पल हँसी,होंठों पर मुस्कान॥होंठों पर मुस्कान,लिए झुमका चमकाती।पायल की झंकार,सुरीली मन को भाती॥कहे ‘विनायक राज’,स्वर्ण चाँदी अति प्यारी।झुमका दोनों कान,पहनती सुन्दर नारी॥

चूड़ी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** कितनी सुन्दर चूड़ियाँ,नीली-पीली लाल।दोनों हाथों सोहती,बिन्दी सोहे भाल॥बिन्दी सोहे भाल,सुनाती प्रेम कहानी।अमर सुहागिन हाथ,पिया की यही निशानी॥कहे विनायक राज,गगन पे तारे जितनी।दुल्हन का श्रृंगार,चूड़ियाँ सुन्दर कितनी॥

कजरा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** कजरा आँखों में सजे,पायल छनके पाँव।गोरी की कँगना बजे,सुनों शहर से गाँव॥सुनो शहर से गाँव,देख लो शोर मचाती।नाजुक कली गुलाब,खिले खुशबू फैलाती॥कहे ‘विनायक राज’,लगाई बालों गजरा।उसकी नैन कटार,बने आँखों की कजरा॥

उपवन

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** वन-उपवन खिलता रहे,छाये सदा बहार।पर्यावरणी सोच हो,वृक्ष करे उपकार॥वृक्ष करे उपकार,लगाओ घर-आँगन में।शुद्ध हवा भंडार,बहे फिर तो बागन में॥कहे विनायक राज,काटना मत ये कानन।रक्षा करना आप,सजाना है वन-उपवन॥