गुरु मिलाता ईश

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* शिक्षक दिवस दिवस... गुरुजन का आदर करो, सदा झुकाओ शीश।गुरु ईश्वर से है बड़ा, वही मिलाता ईश॥वही मिलाता ईश, सत्य का पथ दिखलाता।करता जो सत्कार, सिद्धि…

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हालात

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* बदले हैं हालात अब, हाल हुए बेहाल।हवा जमाने की लगी, बदल गई है चाल॥बदल गई है चाल, काल है ये बेढंगा।शर्म हया को त्याग, हुआ है…

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कलयुग का मानुष

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** कलयुग का मानुष बुरा, देख खड़ा है मौन।लुटती बाला रो रही, न्याय दिलाए कौन॥न्याय दिलाए कौन, लाज है खोती नारी।दुष्ट मनुज स्वाभाव, नहीं नारी अवतारी॥'आशा' कहती आज,…

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सावन और अति वर्षा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सावन आया जल बहक, मौसम में आवेग।मेघों ने हमको दिया, जल का पावन नेग॥जल का पावन नेग, क्यारियों में रौनक है।नदियों में सैलाब, बस्तियों में धक-धक…

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दोनों एक समान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जाने कैसी भिन्नता, मान रहे हैं लोग।बेटा-बेटी भेद का, पाले बैठे रोग॥पाले बैठे रोग, बेटियाँ होतीं आहत।बेटी कभी न बोझ, करो नहिं ख़ुद को तुम क्षत॥कहता…

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करना मत भेद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* करना मत तुम भेद अब, बेटा-बेटी एक।बेटी प्रति यदि हेयता, वह बंदा नहिं नेक॥वह बंदा नहिं नेक, करे दुर्गुण को पोषित।बेटी हो मायूस, व्यर्थ ही होती…

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आज तो सावन आया

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सावन आया मन रहा, बूंदों का त्योहार।मौसम को तो मिल गया, क़ुदरत का उपहार॥क़ुदरत का उपहार, दादुरों में खुशहाली।खेतों में मुस्कान, सिंचाई है मतवाली॥मेघों का उपकार,…

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धरा की पीड़ा

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** धरती माता रो रही, सबसे करे गुहार।बिगड़ रहा है नित्य ही, धरती का श्रृंगार॥धरती का श्रृंगार, बिगाड़े मानव हरपल।वृक्ष कटे नित जान, उजड़ता प्रतिपल जंगल॥प्राणयुक्त आधार, धरा…

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व्यर्थ दिखावा

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** चादर छोटी पड़ रही, किया खर्च जो व्यर्थ।मनुज भूलता जा रहा, जीवन का क्या अर्थ॥जीवन का क्या अर्थ, दिखावा से क्या हासिल।धरें सदा संतोष, हृदय यह होवे…

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धर्म भूल रहा इंसान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जग में अपना धर्म ही, भूल रहा इंसान।करता आज अधर्म वह, त्याग रहा ईमान॥त्याग रहा ईमान, स्वार्थ में डूबा जाता।करता वह अन्याय, झूठ को ही अपनाता॥काम…

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