आलोचना की प्रासंगिकता

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** आलोचना,समीक्षा या समालोचना का एक ही आशय है,समुचित तरीके से देखना जिसके लिए अंग्रेजी में ‘क्रिटिसिज़्म’ शब्द का प्रयोग होता है। साहित्य में इसकी शुरुआत रीतिकाल में हो गई थी,किन्तु सही मायने में भारतेन्दु काल में यह विकसित हुई। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का इसमें महती योगदान है जिसको रामचन्द्र … Read more

शिक्षा बनी व्यवसाय

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** मन व्यथित है,आज बड़ी असहनीय वेदना हो रही है आज की इस गर्त में जा रही आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को देखकरl आज शिक्षा को सिर्फ पैसों से तौला जा रहा हैl मतलब यहाँ तक शिक्षा की दयनीयता देखने को मिल रही है कि,जैसे बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान सिर्फ पैसों के लिये … Read more