राह दिखाती माँ

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* माँ और हम (मातृ दिवस विशेष)... मुझको जब भी नींद न आती,लोरी गाकर मुझे सुलातीबातें करती परी लोक की,कथा सुनाती माँ। पापा जब भी आँख दिखाते,या…

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नामुमकिन है…

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मानव मन के मतभेदों को, धरती से मिटाना मुश्किल हैरामायण हुई, महाभारत हुई, मानव मदहोशी वैसी है।मानव ही कहलाया कभी देव, तो कभी दानव या राक्षसजाति-धर्म…

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शूरवीरता भी अब निभाना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* भगवान परशुराम का अवतार सत्य से आप्लावित था,अनीति, अधर्म को ख़त्म करने के संकल्प से प्रेरित था। त्याग, तपस्या, संघर्ष उनके जीवन की सुखद कहानी है,महकती-मुस्कराती…

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मज़दूर भी इंसान ही

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** जीवन संघर्ष (मज़दूर दिवस विशेष)... जब मज़दूर मजदूरीकरता है,तभी उसका पेटभरता है। यदि मज़दूर नहीं होगा,तो हमें मज़दूरबनना पड़ेगाक्योंकि जो काम है,किसी न किसी कोतो…

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माँ के आँचल में…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ माँ के आँचल में बैठकर,हम सुख का अनुभव करते थेमाँ हमें लोरी सुनाती थी,प्यार से खाना खिलाती थीप्यार-दुलार-स्नेह से अपने पास रखती थी। हम उसकी…

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गलती तो हमारी

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* चारों ओर लू काकहर बरपाया है,इस तपिश ने आगका गोला बरसाया है। ए.सी.- कूलर से भीजब राहत न मिले,तब किसे दोष देंहम सब, कहाँ जाए ?…

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अहसासों की बस्ती

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* अहसासों की बस्ती में, जीवन की उस कश्ती मेंबचपन याद बहुत आता है, जो जिये उस मस्ती में। हरेक शख्स की एक रेल, जो माँ…

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काया बन जाएगी माटी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* नहीं तन अपना, नहीं धन अपना,काहे को ललचाता है मन अपना। करते रहना सब धर्म-कर्म अपना,एक दिन जग हो जाएगा सपना। माटी में तन को तो…

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माँ का त्याग

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* बैठी एक चिड़िया सहन कर रही तेज धूप को,पास जाकर देखा तो वह बैठी सह रही अपने अंडों को। आह निकल गई हृदय से, ममता भरी…

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बड़ी अनमोल है रोटी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** रविवार का था दिवस, छुट्टी का माहौल,बैठे थे कुछ दोस्त इकट्ठा, देख रहे थे मैचबीच में सबको तलब लगी जब चाय बनाए कौन ?उठा दोस्त एक शान…

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