जीवन एक रंगमंच

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* जीवन एक रंगमंच,अद्भुत अद्वितीयहर किरदार यहाँ,हो जाता है साकार। भूमिका हो अहम,या फिर छोटीमेहनत बराबर है,तभी तो होता है शानदार। सुनहरे सपनों का रंगमंच,झिलमिल तारों का…

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तेरी नींद न होगी कभी पूरी

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)********************************** तेरी नींद न होगी कभी पूरी,तू भर-भर सोया करेप्रभु नाम से है मन में उजाला,अंधेरे में क्यों खोया करे। शुभ कर्मों से मनुज तन…

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रंगमंच… दुनिया देखो

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** विश्व रंगमंच की दुनिया देखो,कोई अमीर कोई गरीब देखो। हँसता-रोता हुआ चेहरा देखो,मदद करता लुटता हाथ देखो। कोई फैल कोई हुआ पास देखो,सूरज देखो, चाँद को…

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सोच रही हूँ बेहिसाब लिखूं

ऋचा गिरिदिल्ली******************************** सोच रही हूँ एक किताब लिखूं,अपने अरमानों को बेहिसाब लिखूं। एक के बाद एक पन्नों को पलट,पिरोए सपनों को नायाब लिखूं। जो पढ कर नशा-सा हो जाए,कुछ ऐसी…

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मनोहारी धोलाधार पर्वत

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** है अचल हिमगिरि शोभित,धोला पट निर्मल ओढ़ेरम्य पाप शून्य परिमल लिए,नीलाभ अम्बर ओढ़े। धोलाधार उजास वैभव,पसरी ज्यों, भुजा मुकुंदगिरिराज संतति लघु सुत,शीतल तुहिन पवन भरी।…

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मुखौटों में चरित्र

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ 'विश्व रंगमंच दिवस' (२७ मार्च ) विशेष... दुनिया के चित्रपट के इस दर्पण में,निकल रहा वह कलाकारअपनी अदा अपने किरदार में,मुखौटों में चरित्र हर इंसान…

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जीवन ‘रंगमंच’, रोज जंग

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व रंगमंच दिवस (२७ मार्च)' विशेष... आओ 'रंगमंच' की दुनिया में खो जाएं,जहां हो अभिनय की जादूगरीएक पल में हँसाएं वो, एक पल में रुलाएं,यही है…

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हम थोड़ा-थोड़ा परेशान हैं

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ अब हम पचपन पार हो गए हैंइसलिए चिंतित और परेशान हैंमाथे पर लकीरें बन गईं हैं,मन ही मन परेशान से रहते हैंलेकिन चेहरे पर मुखौटा,लगाकर मुस्कुरा रहे…

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अनुप्रीत गुरुदेव की

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** ढूंढता रहा मैं दत्त दिगम्बर,अक्षरब्रह्म के सागर-सागर मेंएक-एक शब्द उतना ही रोचक,जैसे अमृत भरा हो गागर मेंहर गगरी से छलका अमृत,अमृत के कण-कण में अवधूतबहुत छोटी…

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तेरी कारीगरी लाज़वाब

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’जयपुर (राजस्थान)*********************************************** मंज़िल पर पहुंचे हम इस कदर,ये हसीन मंजर देखते हैंउसके जहां को कुछ,इस कदर देखते हैं। पत्थरों से प्यार करते हैं,जिगर पर 'वो' वार…

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