हम उनके ऋणी
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** गूढ़ रहस्य है धर्म सनातन,कण-कण में बसते भगवानकुछ बातें ऐसी भी है इनमें,जिन बातों से हम अनजान। कहते कुछ ना लेकर आता,ना लेकर जाता है, इन्सानपर संचित…
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** गूढ़ रहस्य है धर्म सनातन,कण-कण में बसते भगवानकुछ बातें ऐसी भी है इनमें,जिन बातों से हम अनजान। कहते कुछ ना लेकर आता,ना लेकर जाता है, इन्सानपर संचित…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** कृष्ण तुम्हारी बहुत जरूरत, धरती पर आओ,दुःशासन को कैसे मारें, हमको सिखलाओ। गली-गली में नरकासुर हैं, करे कौन प्रतिकार ?कृष्ण कन्हैया तुम ही इनका कर सकते संहार।…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* आँखों ही आँखों में,कितनी बात हो गईरातभर सपनों में खो कर,नींद में मीठी बात हो गई। होंठों तक आते-आते,बात क्यों रुक गईभूले नहीं थे वो क़िस्से,जाने…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** नशा मुक्त देश बनाओ,हर दिल में ये दीप जलाओनशा एक अभिशाप है,इसको जल्दी दूर भगाओ। नशा बहुत जहरीला है,उम्र को खा जाता हैबर्बाद आँसुओं के…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हौंसलों की इस उड़ान से,तुम ऊँचे उड़ो असमान परतुम्हारी चाह तो नहीं रुकने की,तुम आगे बढ़ोक्योंकि इरादे हैं तुम्हारे बुलंद। एक नन्हा-सा पौधा भी,अपनी मिट्टी…
डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** आज की खुशी क्यों ?खुशी हर रोज,होना चाहिएसभी को रोज,प्रसन्न रहना चाहिए। आज नहीं बल्कि,हर पल खुश रहा करोखुशियों के गीत,रोज कहा करों। खुशी मन…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* झिलमिल झिलमिल कर रही है धूप सुनहरी,धीरे-धीरे आसमां से उतर रही है धूप सुनहरी। लगता है मानो सफेद वसन पहने उतर रही है,अपनी चंचल अदाओं से…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** सम्भल जाइए ऐ हुजूर,पहचानिए वक्त की नजाकत कोखुदा कसम टिक न पाओगे,आईने के सामने। बयां करेगा हर वो लम्हा,अय्याशी में जो तूने गुजारेऐसा तूफान आएगा जीवन मेंबेनकाब…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पितृ पक्ष विशेष.... रिश्तों को पाने के लिए,तलाशता मनबिखर गए,मोतियों से रिश्ते कोपाने की चाह,अब बहुत दूर निकल चुकी। अकेलापन बहुत बुरा होता,कलयुग में श्रवण कुमारभला कहाँ…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आज रात तो है क्या, कल भोर भी होगी,आज घात तो है क्या, कल सौगात भी होगी। वक्त के थपेड़ों से घायल, जज़्बात भी…