मन है रीता-रीता
डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)************************************************* सपनों के संसार सजेपर मन है रीता-रीता।मन की चाह हुई न पूरीइक सारा युग बीता॥ चलता रहा सतत निज पथ पर,सच का बन अनुगामीचाटुकारिता के इस युग में,सदा मिली नाकामी।कर्म के फल की इच्छा मन में,समझ न पाया गीता।पर मन है रीता-रीता…॥ आपाधापी के जीवन में,खुद से न मिल पायाजग … Read more