ममता का सागर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ माँ बिन…! माँ मेरी ममता का सागर,जग में तुम्हीं महान हो।मेरा सब कुछ है तुमसे ही,ईश्वर का वरदान हो॥ मुझे धरा पर लाने वाली,रखती आँचल…

Comments Off on ममता का सागर

कैसे माँ बन पाऊँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ माँ बिन…! यह अजीब लीला है प्रभु की,माँ बिन जन्म न जीवन पाऊँ।मायावी संसार बीच में,कैसे माँ बिन माँ बन पाऊँ॥ माँ ही जीवन, माँ ही जगती,माँ ही…

Comments Off on कैसे माँ बन पाऊँ

श्रमिकों की वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मजदूरों का नित है वंदन, जिनसे उजियारा है।श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है॥ खेत और खलिहानों में जो, राष्ट्रप्रगति-वाहक हैं,अन्न उगाते,स्वेद बहाते, सचमुच…

Comments Off on श्रमिकों की वंदना

कैसे गाऊँ अपना गीत

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बीता दिन रोटी पानी में,कैसे गाऊँ अपना गीत। हुआ प्रभात जगी नव चिन्ता,बिस्तर छोड़ूं भर लूं पानीपानी के ही पीछे चलती,झाड़ू की भी कथा पुरानी।सुलग अँगीठी में ही…

Comments Off on कैसे गाऊँ अपना गीत

साँस दे ज़िन्दगी को पवन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* ज़िन्दगी ही न खुद की हुई,चाहती दूसरों को रही।बन्दगी जिस घड़ी सज गई,मांगती उस घड़ी कुछ नहीं। उम्र बचपन, जवानी, बनी,फिर बुढ़ापा मिले अनुभवी।साँस, धड़कन,…

Comments Off on साँस दे ज़िन्दगी को पवन

मेरे आराध्य राम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आराध्य राम की पूजा में, मैं सारी उम्र बिताऊँगा।जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा॥ धर्म-नीति के जो रक्षक,हैं नित्य सदा ही हितकारी।उनकी गरिमा-महिमा पर…

Comments Off on मेरे आराध्य राम

बदलता परिवेश

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)***************************************************** परिवर्तन की लहर चल रही,बदल रहा परिवेश।भाईचारा नहीं रह गया,संकट में है देश॥ टीवी-मोबाइल की संस्कृतिसबके मन में छाई,नहीं मूल्य जीवन मूल्यों काबड़ी गिरावट आई।अपनेपन…

Comments Off on बदलता परिवेश

बदल रहा है आज जमाना

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* भौतिकता के नए दौर में,बदल गया सब ताना-बाना।रिश्तों की मर्यादा टूटी,बदल रहा है आज जमाना॥ चौपालें सूनी हैं सारी,संस्कारों का मान घटा है।रिश्तों में अब पड़ी…

Comments Off on बदल रहा है आज जमाना

हे! महावीर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* महावीर जयन्ती (४ अप्रैल विशेष)... महावीर कल्याणक तुमने दिया अहिंसा-गीत।तुम हो मानवता के वाहक, सच्चाई के मीत॥ राजपाठ तुमने सब त्यागा, करने जग कल्याण,हिंसा और को…

Comments Off on हे! महावीर

कोई जग में नहीं पराया

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* पूरी वसुधा इक कुटुंब है,हमने सबको ही अपनाया।सीमाएं तोड़ी सरहद की,कोई जग में नहीं पराया॥ जग पूरा अपना घर-आँगन,सबसे मानवता का रिश्ता।सबकी रग में रक्त एक-सा,कौन…

Comments Off on कोई जग में नहीं पराया