प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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नारी का घटता आँचल तो, है दु:खभरी कहानी।
नारी का अब देख रवैया, है आँखों में पानी॥
शील, सत्व को धारण करके, नारी ने दिखलाया,
संस्कारों की गरिमा लेकर, नित निज मान बढ़ाया।
नारी ने अनुशासन माना, स्वर्णिम सदा जवानी,
नारी का घटता आँचल तो, है दु:खभरी कहानी…॥
फैशन की आँधी में फँसकर, नारी है बौराई,
क्या अच्छा है, और बुरा क्या, नहीं समझ वह पाई।
भारत की नारी की छवि थी, सचमुच सदा सुहानी,
नारी का घटता आँचल तो, है दु:खभरी कहानी…॥
आज सिनेमा ने भरमाया, बेहद अंग प्रदर्शन,
मनोरोग बढ़ता ही जाता, दिखता है उघड़ा तन।
जाने क्यों अब नारी ने तो, फूहड़ता की ठानी,
नारी का घटता आँचल तो, है दु:खभरी कहानी…॥
भौतिकता में डूब गई है, भैया अब तो नारी,
नारी पर तो आई है अब, मादक एक ख़ुमारी।
नारी का तो चोखा गौरव, अब है बात पुरानी,
नारी का घटता आँचल तो, है दु:खभरी कहानी…॥
आज़ादी की चाहत रखती, तोड़ सभी अब बंधन,
राख लगा ली माथे पर अब, तज पूजा का चंदन।
चमक-दमक ने मति-गति फेरी, अब राहें अनजानी,
नारी का घटता आँचल तो, है दु:खभरी कहानी…॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।