प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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आदिपुरुष तुम, पूरणकर्ता, शिव, शंकर, महादेव।
नंदीश्वर तुम, एकलिंग तुम, हो देवों के देव॥
तुम फलदायी, सबके स्वामी, तुम हो दयानिधान,
जीवन महके हर पल मेरा, दो ऐसा वरदान।
कष्ट निवारण सबके करते, तुम हो श्री गौरीश,
देते हो भक्तों को हरदम, तुम तो नित आशीष।
कार्तिके़य,गजानन आये,बनकर पुत्र तुम्हारे,
संतों,देवों ने सुख पाया, भक्त करें जयकारे॥
तुम हो स्वामी, अंतर्यामी, केशों में है गंगा,
ध्यान धरा जिसने भी स्वामी, उसका मन हो चंगा।
तुम अविनाशी, काम के हंता, हर संकट हर लेव,
भोले बाबा, करूं वंदना, हे देवों के देव।
तुम त्रिपुरारी, जगकल्याणक, महिमा का है वंदन,
बार-बार करते हम सारे, औघड़दानी वंदन॥
पर्वत कैलाशी में डेरा, भूत प्रेत सँग रहते,
सुरसरि की पावन जलधारा, आप लटों से बहती।
उमा संग तुम हर पल शोभित, अर्ध्दनारीश कहाते,
हो फक्खड़ तुम, भूत-प्रेत सँग, नित शुभकर्म रचाते।
परम संत तुम, ज्ञानी, तपसी, नाव पार कर देव,
महाप्रलय ना लाना स्वामी, हे देवों के देव॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।