गीत प्रेम के मैंने गाए
संजय गुप्ता ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा २८, १६-१२ यति, अंत दो गुरू एक दूजे में हम रच गये, बनती गयी कहानी।गीत प्रेम के मैंने गाए, हो गयी मैं दिवानी॥ प्रेम पाश…
संजय गुप्ता ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा २८, १६-१२ यति, अंत दो गुरू एक दूजे में हम रच गये, बनती गयी कहानी।गीत प्रेम के मैंने गाए, हो गयी मैं दिवानी॥ प्रेम पाश…
सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** ख़ार बनो मत शूल बनो तुम,मत काग़ज़ के फूल बनो तुम।ले जाए हर आँधी जिसको,हरगिज़ मत वो धूल बनो तुम॥ अपने पथ पर बढ़ते जाओ,हर पल…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ हम इक गीत सुनायें,भारत माँ की कीरति गायें।भारत की प्राचीर हिमालाशिखर पहुँच झंडा फहरायें॥ दक्षिण सागर चरण पखारे,प्राची रवि आरती उतारेछाई है चहुं दिश हरियाली,प्राणों…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ओ मेघा रे.... गीत गा रही वर्षा रानी, आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है॥ गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* जीवन कर्तव्य में करता हेर-फेर,लेकिन हर वक्त से होती है सबेर।देन में भी मंजिल की, पल नहिं रुकता वक्त,जीवन नहि सोचता, अब होती है…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मोर करे है नृत्य मनोहर,प्रीत दिखावे किसे घनी।कोयल गाये मधुरिम वाणी,मीठे से रस गीत सनी। हरियाली है चंहु दिशि छायी,मन उपवन में हर्ष खिला।बगियन में हैं झूला झूले,जीवन…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दिल को भी खुद के जैसा, भगवान तुमने बनाया,कोई, दिल को भी देख न पाया।कोई, दिल को भी देख न पाया॥ सागर-सी इच्छा देकर,…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गिर रही है रोज़ ही,कीमत यहाँ इंसान की।बढ़ रही है रोज़ ही, आफ़त यहाँ इंसान की॥ न सत्य है,न नीति है,बस झूठ का बाज़ार हैन…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उमड़-घुमड़ कर आये बदरा दादुर करते शोर,दम-दम दमक रही दामिनियाँ नाच उठा मन मोर।कि सावन आया है, ये मन हर्षाया है॥ घन-घन गरजे कारी बदरिया बिजुरी…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बैठा है कब से प्यासा वो,स्वाति के आसरे।चातक के स्वाभिमान का, बादल भी क्या करे॥ जिसने भरे जलाशय,जिसने भरे समन्दरपर्वत की चोटियों से,जिसने बहाये निर्झर।सोचे वही कि कैसे…