अद्भुत समर्पण

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ धरती के भीतर से देख लिया प्रस्तर ने,छिप कर झरोखे से मेरा मृदु आननरंग को निखार वह,रूप को सँवार सखी,आया द्रुत सम्मुख बन मेरा लघु दर्पण। मैंने तो सोचा था मेरी छवि लखने को,मेरी ही अँखियाँ नित रहती अभिलाषी हैंलेकिन जब देखा छू शीशे के अन्तर को,समझी तब मेरे ही दर्पण प्रत्यासी हैं।दर्पण … Read more

है गर्व हमें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या…. भारत की आत्मा है हिन्दी,व हमारी दिनचर्या भी यही,…………………है गर्व हमें।………………………. जन्मे भारत की माटी पर,भाषा सबसे प्यारी है यही,………………..है गर्व हमें॥……………………….भारत की आत्मा है हिन्दी… है ओम शब्द हिन्दी का ही,जो सूरज दिन भर कहता है।चन्दा भी हर पूर्णमासी में,अपनी किरणें … Read more

अपने

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** भुला कर बैर सबका साथ में रहना जरूरी है,कहा है सच बुजुर्गों ने जुड़े रहना जरूरी है।जो पत्ता डाल से टूटे वो जोड़ा नहीं सकता,उजाला घर में चाहे घर का दीपक भी जरूरी है।अगर परिवार है संग में अकेला क्यों रहें बोलो,अलग अपनों से रह कर ज़िन्दगी रहती अधूरी है॥ रहे … Read more

हिंदी हिंदुस्तान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या…. रचना शिल्प:मात्रा भार १६/१३/ हिन्द देश के हैं हम वासी,हिंदी मेरी जान है।तन-मन सब-कुछ वार दिया है,इस पर जां कुर्बान है॥ नमः मातरम् नमः मातरम्,धरती का यह राग है।भारतवासी बेटे हैं हम,सबकी यही जुबान है॥हिन्द देश के हैं हम… अंग्रेजी पढ़ लेना तुम … Read more

यह संभव नहीं है

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************* मान लें कठिनाइयों से हार यह संभव नहीं है।रोग ‘कोरोना’ करे लाचार यह संभव नहीं है॥ मौत देखो आँख से काजल चुराती घूमती है,नित नई कोशिश हमारी जिंदगी को चूमती है।साँस अब भी चल रही है,दीपकों-सी बल रही है,छोड़ दें हम हाथ से तलवार यह संभव नहीं है॥मान लें कठिनाइयों से … Read more

अहंकार का वृक्ष

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* अहंकार का वृक्ष लगाकर,सींचा उसको शान से।विपत काल में छोड़ गए सब,तेरे निज अभिमान से॥ व्यर्थ दिखावें पर जीवन को,रखकर दिन को काटता,उच्च वस्तुओं का दम भरकर,रिश्तों को भी छाँटता।आज वक्त ने छीन लिया सब,अल्प समझ अरु ज्ञान से,अहंकार का वृक्ष लगाकर,सींचा उसको शान से…॥ टहनियों में द्वेष भर गया,पनप गई … Read more

मानो सब मिल आभार

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** चौपाई आधारित…. वंदनीय अनुपम अलौकिक,भारती पर्यावरण सार।जीते पूत मान पिता देमृत्युपरांत करे उद्धार॥ तीन ऋण सभी पर होतेदेव,पितृ और ऋषि महान।श्राद्ध पक्ष पितर को अपनेआदर कर सद्गति प्रदान॥ देव प्रसन्न यज्ञ भाग सेऋषि प्रसन्न सद्गुण सत्कर्म।पितृ श्रद्धा श्राद्ध करे सेमूल वाक्य सनातन धर्म॥ पूर्वज के शुभ आशीष सेफूले-फले हम होते दीप्त।कर्तव्य यही अनुग्रहित … Read more

पितृपक्ष में देवता आते

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** पितृ पक्ष विशेष….. पितृपक्ष में वो देवता आते,जिन्दगी ये हमें जो दे जाते।मान उनका करे सदा जीवन,जिन्दगी में न दु:ख कभी आते। भाद्रपक्ष पूर्णिमा के दिन से ही,कृष्णपक्ष की अमावस्या के दिन तक,दिन ये सोलह कहाते पितरों के,सुख बनें जिन्दगी में सब आते।जिन्दगी जल-हवा-सी हो निर्मल,स्वर्ग सुख सब जमीं … Read more

पुण्य पथ पर चलें

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* कर्म ऐसा आप करते नित चलें।पुण्य पथ का भाव अंतर नित ढलें॥ बोलिए शुभ बोल भाषा नेक हो,हम मनुज के भाव निर्मल एक हो।द्वेष छल को त्यागकर समता पले-कर्म ऐसा आप करते नित चलें…॥ सत्य पथ की राह पर चल सर्वदा,काम आता सत्य का पथ ही सदा।बैर टूटे दूर होवे फासले-कर्म … Read more

गहरे घाव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* रोदन करती आज दिशाएं,मौसम पर पहरे हैं।अपनों ने जो सौंपे हैं वो,घाव बहुत गहरे हैं॥ बढ़ता जाता दर्द नित्य ही,संतापों का मेलाकहने को है भीड़,हक़ीक़त,में हर एक अकेला।रौनक तो अब शेष रही ना,बादल भी ठहरे हैं,अपनों ने जो सौंपे वो,घाव बहुत गहरे हैं…॥ मायूसी है,बढ़ी हताशा,शुष्क हुआ हर मुखड़ाजिसका भी … Read more