छह साल की बच्ची हूँ…

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** मैं हूँ छह साल की बच्ची, बोलो क्या है दोष।बलात्कार को झेल रही हूँ, मुझ पर क्यों है रोष॥ नटखट मेरी सोच जान लें, कुटिल पाप…

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सतत करें अभ्यास

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* सतत् करें अभ्यास, काव्य बन जाए न्यारा।बनें काव्य मर्मज्ञ, काव्य रस बहती धारा॥सुधिजन देते मान, सुयश जीवन में खिलता।कवि की सृष्टि अपार,नहीं दुख इसमें मिलता॥…

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निगाहें राह तकती

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** चले आओ पनाहों में, निगाहें राह तकती है।बताएं क्या तुम्हें दिलवर, तुम्हीं में जान बसती है॥सुनो सजना तुम्हें मैंने, तहे दिल से पुकारा है।चले आओ सजन…

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वेदमाता भवानी

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... करूँगी सदा वंदना मैं तुम्हारी,भवानी सुनो प्रार्थना है हमारी।बना दो विवेकी हरो अंधियारा,पुत्री हूँ तुम्हारी बनो माँ सहारा।…

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सरस्वती वंदना

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** रचनाशिल्प- २१२२ २१२२ २१२... शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे।माँ तनिक भी मत हमें अभिमान दे॥ श्री कलाधारा सुनासा वरप्रदा।शारदा ब्राह्मी सुभद्रा श्रीप्रदा।भारती त्रिगुणा…

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सुनो कन्हैया

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** रचनाशिल्प:छंद शास्त्र के अनुसार तंत्री छंद ३२ मात्राओं का सम-मात्रिक छंद है, जिसमें ८, ८, ६, १० मात्रा पर यति का विधान है तथा ८, ८…

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राम भजो, यह धर्म

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* राम भजो सब काम तजो यह धर्म है।मानव जीवन मुक्ति यही सब मर्म है॥जो करता शुभकर्म उसे सुख प्राप्त हो।जीवन के पथ पे न कभी…

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विकल्प छंद

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)****************************************** रचनाशिल्प:१८ वर्ण प्रति चरण, ४ चरण, दो-दो समतुकांत हो, ८-१० वर्ण पर यति अनिवार्य है। सगण सगण सगण सगण सगण सगण ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ छलिया…

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माँ ब्रह्मचारिणी परेशानी हरो

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'ब्रह्मचारिणी',तप ज्योतिध्यान का रूप,सत्य धूपसृष्टि। 'ब्रह्मचारिणी',संयम-साधनासृष्टि की मूरत,एकाग्रता शक्तिविश्वास। 'ब्रह्मचारिणी',नियम-ध्यानभक्ति हो तुम,निरंतर तपपहचान। 'ब्रह्मचारिणी',कठिन राहेंतुम्हारा आशीर्वाद उजियारा,तप फलसीख। 'ब्रह्मचारिणी',जीवन संघर्षमाँ परेशानी हरो,धैर्य टूटताश्रद्धा॥

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पावन ये धरती

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प: मापनीयुक्त वर्णिक, ८ वर्ण, मापनी-गालल गालल गागा २११ २११ २२, पिंगल सूत्र-भ भ ग ग, ध्रुव शब्द-जाता, २ २ चरण या चारों चरण समतुकांत भारत…

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