जन गण मन की जीत हो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** गणतंत्र दिवस विशेष…. जन गण मन की जीत हो,जय हो भारत देश।चलो मनाये साथियों,ये गणतंत्र विशेष॥ ये गणतंत्र विशेष हो,भारत की जयकार।जनमानस में चेतना,मिले सभी अधिकार॥ मिले सभी अधिकार वो,सबका होवे न्याय।साथ-साथ मिलकर चलें,कोई छूट न पाय॥ शान तिरंगे की बढ़े,कभी न झुकने पाय।नील गगन की छाँव में,लहर-लहर लहराय॥ अमर … Read more

महापर्व गणतंत्र दिवस

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* गणतंत्र दिवस विशेष….. महापर्व गणतंत्र,चलो शुभ दिवस मनाएँ।जनगण सुंदर गान, सभी मिलजुल कर गाएँ॥भारत का अभिमान, मान अरु शान तिरंगा।श्रेष्ठ यहाँ का नीर,जहाँ बहती माँ गंगा॥ तीन रंग का श्रेष्ठ,चलो झण्डा फहराएँ।आजादी के नाम,सभी नित माथ झुकाएँ॥जो है अमर शहीद,सभी को शीश नवाएँ।यह धरती की शान,गीत वंदे सब गाएँ॥ जय जय … Read more

मातृ वंदना

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मातृ वंदना प्रथम करूँ मैं,जन-जन का अभिमान है।जन्म धरा है इस माटी में,जीव जगत की शान है॥ शुभ किसान जो अन्न उपजाते,वंदन उनको कीजिए।अमर शहीदों की गाथा को,मस्तक पर नित लीजिए॥ लहू वतन पर यहाँ दिया है,करते शुभ गुणगान है।इस मिट्टी में यमुना गंगा,नदियाँ सारी जान है॥ मातृभूमि को शीश नवा … Read more

नारी

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचनाशिल्प: प्रत्येक चरण में ५+५=१० मात्रा… तुम नार अभिजात,गृह सेवा दिनरातकरे उफ न थकान,अधर पर मुस्कान। न कोमल कमल कली,वह वज्र हिय पलीछू पीर भामिनी,प्रेरणा स्वामिनी। नवभाव अनुभूति,रच सृजन प्रसूतिकभी शिशु व वनिता,कभी रच सुकविता। कभी थी खिलाड़ी,कहाती अनाड़ीनिपुण थी नृत्य जो,बनी गृह भृत्य वो। मायका गुनभरी,ससुराल अधखरीस्त्री सदा अनमोल,बोली न कटु … Read more

ऊँच-नीच को मिटाया

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** विवेकानन्द जयन्ती विशेष…. जिसका कंठ सुरीला,था युवा नेता छबीला,माँ शारदे के लाल की आरती उतारेंगे।ऊँच-नीच को मिटाया,नारी शिक्षा को बढ़ाया,विवेकानंद के पद,राम से पखारेंगे। भारती के पूत उठो,जागो तब तक भागो,लक्ष्य नहीं मिले यदि,जन्म जन्म वारेंगे।धर्मों का किया सम्मान,नहीं किया अपमान,ऐसी महान आत्मा को,मन में उतारेंगे॥

सदा सर्वप्रिय अटल

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** अटलबिहारी वाजपेयी विशेष…… रचना शिल्प:२२ मात्रा,१२:१० पर यति,४ चरण,२-२ चरण समतुकांत रचते रचना महान,शब्द के पुजारी।गढ़ते स्वच्छंद पंक्ति,शुद्ध मन विचारी॥कर्म-धर्म-मर्म ज्ञान,शब्द सार भारी।राष्ट्रप्रेम भाव हृदय,शब्द अर्थ धारी॥ प्रखर वक्ता देशभक्त,विमल हृदय धारी।प्रेम पूर्ण शुद्ध भाव,मन अटल बिहारी॥महानेता प्रखर कवि,सत्य वचन पालक।जन-मन में बसे अटल,राष्ट्र प्रजापालक॥ देश के प्रधान उच्च,सर्वश्रेष्ठ सेवी।दोष-खोटहीन कुशल,प्रेम … Read more

असमानता

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** न हो कभी असमान भावना,नहीं विषमता प्रेम हो।जग में रखना प्रेम भावना,कभी न मन उद्वेग हो॥ ईश्वर के ही जीव चराचर,वह सब कुछ है जानता।ईश्वर की ही कृपा सभी पर,पूजा सबकी मानता॥सदा प्रेम हो दीन-दुखी से,हीन भाव मन में न हो।जग में रखना प्रेम भावना,कभी न मन उद्वेग हो॥ न हो … Read more

आनंद

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** जीवन में उत्साह भरा हो,करो सुकर्म उमंग में।भर साहस उद्यम में मन हो,मिल-जुल कर के संग में॥ सकल पदार्थ दिए हैं प्रभु ने,है परिश्रम करना भलो,उद्यम से ही सब मिलता है,पाकर जीवन में चलो॥सदा कर्म निष्ठा से पायें,श्रमसाधन की जंग में।भर साहस उद्यम में मन हो,मिल-जुल कर के संग में॥ जीवन … Read more

सदाचरण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* नहीं दुराव,हो उठाव,आज तो पले विवेक।सही बहाव,हो उड़ान,रीति,नीति प्यार नेक॥सुशील हो,न कील हो,बढ़ोतरी करो विनीत।जहान धर्म-कर्म मान,मीत गीत हो पुनीत॥ महान ज्ञान वान संत,जो कहें वरो सुजान।ग़रीब तो सभी यहाँ सभी,रहो सुधर्म मान॥सुदीप जो जले,उजास का रहे यहाँ प्रभाव।परोपकार मान लो,नहीं रहे ज़रा अभाव॥ सदा दिली लगाव,तो रहे सदा भला … Read more

शत्-शत् नमन

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** रहे हो जा कहाँ पर तुम।        वतन की छोड़के गलियाँ॥सिसकते रह गए हैं सब।        चमन के फूल ये  कलियाँ॥उदासी छा गयी मन में।                नयन आँसू बहाते हैं॥तड़पता देश है सारा।            विपिन जी … Read more