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सुरभित करती मानव जीवन

आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)

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नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)….

सुरभित करती मानव जीवन,धरती वर वरदान है।
सभी धुरी माँ केन्द्र धरा पर,नारी ही शुभ शान है॥

दिव्य किरण का तेज ओज वो,ईश्वर का अभिदान है।
प्रथम शब्द से रहे अलंकृत,श्रेष्ठ ध्येय अरु ज्ञान है॥

तपोभूमि है मन नारी का,करती हर क्षण त्याग है।
फलीभूत परिवार वहीं जो,नारी का अनुराग है॥

अनुपम निर्मल प्रेम धार से,दान सुरक्षा सार है।
कोख धरे नव जीव जन्म दे,अविरल बहता प्यार है॥

सरल सहज तेरी परिभाषा,हर धड़कन की आस है।
श्रेष्ठ सभी कर्तव्य निभाती,जीवन सुखद उजास है॥

दान भाव का गुण है तुझमें,देती नित्य सुविचार है।
कर्म-धर्म से मुख नहीं मोड़ा,जगती का आधार है॥

वर्तमान में देश चलाती,सुंदर निर्मल ध्येय से।
जन-जन लाभान्वित होता,कर्म-धर्म उपमेय से॥

बहन कहूँ पत्नी अरु माता,इसका चारों धाम नाम है।
धीर धरें यह ज्ञान बाँटती,अनगिन तुझे प्रणाम है॥

स्नेह लुटाती निर्मल मन से,हिम्मत सदा महान है।
कठिन क्षणों में साथ निभाती,ईश्वर सम गुणगान है॥

कभी न रौंधे फूल सहेजें,मान एक आधार है।
आत्मसमर्पण त्याग भावना,शुभ निर्मल संस्कार है॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

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