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माँ सरस्वती

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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हंसवाहिनी शारदे,
मातु हमको तार दे।
वीणापाणि सरस्वती,
अज्ञान मिटाइए॥

विद्यादायिनी तारिणी,
मात पुस्तकधारिणी।
बुद्धि बल शक्तिदा
ज्ञान लौ जलाइए॥

धवल वस्त्रधारिणी,
मात अज्ञानहारिणी।
दिव्यालंकारभूषिता,
सुख बरसाइए॥

कवि रचना संसार,
अद्भुत और अपार।
इसमें सुख वास है,
दु:ख को मिटाइये॥

नाना इसके रूप है,
कवि सृष्टि अनूप है।
विधि की सृष्टि से बड़ा,
डुबकी लगाइए॥

है ईश सृष्टि अपूर्ण,
कवि सृष्टि परिपूर्ण
नव रस से सुंदर,
कलम चलाइए॥

कवि शब्द की शक्ति से,
सरस्वती की भक्ति से।
रचता सुंदर काव्य,
आनन्द उठाइये॥

अज्ञानी हैं हम माता,
ज्ञान तुम ही से आता।
दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटा,
गुणों को संवारिये॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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