सकल जगत की शान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मुंशी प्रेमचंद जयंती विशेष….. प्रेमचंद जी को नमन,सकल जगत की शान।अनुपम सभी कहानियाँ,देते सुंदर ज्ञान॥ उपन्यास में सार है,सुंदर नव संदेश।अंतर्मन भी तृप्त हो,पढ़कर मिटता क्लेश॥ अनुपम सारी पटकथा,सुंदर सारे पात्र।अनुपम सभी निबंध जो,पढ़ते अब भी छात्र॥ नेक विचारक देश के,कहता सकल समाज।तोड़ो सभी कुरीतियाँ,यही रहा आगाज॥ नेक कहानी प्रेरणा,रची पूस … Read more

राष्ट्र धर्म चहुँ प्रगति में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************* मानवता सबसे बड़ा,सभी धर्म का मंत्र।रहें प्रेम सद्भाव से,जनहित में हो तंत्र॥ रख विचार सद्भाव से,दें मनभाव विनीत।वाणी हो वश संयमित,अरि मानस भी जीत॥ पुरुषोत्तम ज्ञानी निरत,दर्पण बने समाज।परहित में तज जानकी,रामराज्य सरताज॥ महापुरुष की जिंदगी,दे जीवन संदेश ।त्याग,शील,परहित गुणी,प्रीति नीति परिवेश॥ मूढ़ कौन ज्ञानी यहाँ,तौले कौन समाज।तर्कयुक्त प्रमुदित … Read more

गुरु शिक्षा का दीप

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** गुरु को मानत है जगत,गुरु का कर सम्मान।गुरु शिक्षा का दीप है,गुरु समझावे ज्ञान॥ सीख भली गुरुदेव की,जीवन देत निखार।ज्ञान अमोलक पाय के,सुख पावे संसार॥ पढ़े समझ साहित्य को,औरन को समझाय।गुरु दाता है ज्ञान के,सच्चा ज्ञान बताय॥ कर अक्षर से रूबरू ,देत शब्द का सार।पढ़ पोथी आगे बढ़े,ये गुरु का उपकार॥ … Read more

विज्ञान ने बिखराए नव रंग

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************** ख़ूब रचा विज्ञान ने,सुविधा का संसार।जीवन में सुख भर गया,दिखता जीवन-सार॥ आना-जाना,परिवहन,लेन-देन,संचार।नए सभी कुछ हो गए,शिक्षा अरु व्यापार॥ दूर बैठ संवाद हो,चित्र,वीडियो संग।सचमुच में विज्ञान ने,बिखराये नव रंग॥ जीवन हरसाने लगा,विज्ञानी सौगात।पर यंत्रों से हो गए,मानव के जज़्बात॥ लाइव टेलीकास्ट है,एसी,फ्रिज,जलयान।वायुयान,बिजली सुखद,मोबाइल की शान॥ पर इंसां आराममय,श्रम से है वह … Read more

समरसता मुस्कान जग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************ आज फँसा मँझधार में,सत्य मीत अरु प्रीत।लोभ अनल में जल रहा,समरसता संगीत॥ मिशन था अंबेडकर,समरसता संदेश।समता ही स्वाधीनता,दलित हरित उपवेश॥ तार-तार अनुबन्ध अब,क्षत-विक्षत ईमान।नश्वर इस संसार में,बिकता है इन्सान॥ मातु पिता भाई समा,शिक्षक मीत जहान।सदाचार परहित विनत,समरसता वरदान॥ भौतिक सुख चाहत बला,है विनाश तूफान।नीति प्रीति यश त्याग सब,भूले बन … Read more

गुरु-वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************** गुरु पूर्णिमा विशेष………. गुरुवर तुम तो ज्ञान हो,हो सूरज का रूप।शिष्यों को तुम दे रहे,सदा सुनहरी धूप॥ गुरुवर तुमने सीख दे,बाँटा बहुत विवेक।तुम तो गुरुवर तेज हो,तुम हो हरदम नेक॥ गुरुवर मैं अज्ञानमय,खोया था अँधियार।तुमने ही निज ज्ञान से,जीवन दिया सँवार॥ सत्य,न्याय जाना नहीं,ना नैतिकता-भाव।पर अब गुरुवर है नहीं,मुझको कोय … Read more

गुरु करते ज्ञान प्रदीप

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** गुरु पूर्णिमा विशेष…… जीवन को सुरभित करें,उर में भरे प्रमोद।प्रलय और निर्माण द्वय,बसते गुरु की गोद॥ ज्यों माटी को गूँथ कर,देता रुप कुम्हार।वैसे ही निज शिष्य को,देता गुरु आकार॥ पथ अवलोकित कर सके,जले स्वयं बन दीप।हृदय तिमिर गुरु मेटते,करते ज्ञान प्रदीप॥ शिक्षक ईश्वर के सदृश,करें सदा उपकार।उसने ही हमको दिया,जीवन का … Read more

माँ भारती…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** धन्य-धन्य माँ भारती,कैसे करूँ बखान।जगती को बाँटी सदा,उपकारों की खान॥ जन-जन जीवन एक है,ऐक लहू का रंग।धरती ही परिवार है,सदा बताती गंग॥ माँ सबका पोषण करे,सदा दिखाती राह।खोजे से मिलती नहीं,उपकारों की थाह॥ गंधसार,रज भूमि की,मलयज की है वात।निर्जर भी आकर यहाँ,धारें मनु की गात॥ सुधामई माँ भारती,जीवन का है सार।उपकारों का … Read more

कठिनाई

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* कठिनाई के बाद भी,जो रण लेते जीत।सर्व खुशी उनको मिले,सबके बनते मीत॥ आती-जाती मुश्किलें,करे तुम्हें तैयार।घबराना मत तू कभी,जीत मिले या हार॥ कठिन परिश्रम कर चलें,आए जीवन काम।ध्येय लक्ष्यता को धरें,संचित कर्म तमाम॥ कठिन परीक्षा की घड़ी,देखो आई आज।लड़ने को तैयार हूँ,मुझे स्वयं पर नाज॥ जो करता है सामना,कठिन समय के … Read more

मानसून शुभ आगमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** छाया नभ घनघोर घन,दग्ध धरा बिन आप।मानसून आग़ाज़ लखि,मिटे कृषक अभिशाप॥ मानसून की ताक में,आशान्वित निशि रैन।उमड़ रही काली घटा,कृषक चमकते नैन॥ आया सावन मास फिर,बिजुली गरजे व्योम।बूंद-बूंद बरसे घटा,भींगे तन-मन रोम॥ सूर्यातप तनु स्वेद जल,बहता बीच पनार।मानसून शुभ आगमन,जन-मन खुशी बहार॥ सूखे तरु वन खेत सब,पोखर नदियाँ कूप।मानसून … Read more