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प्रकृति

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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झरने की आवाज से,होता जग में शोर।
पक्षी गाते गीत हैं,होता है जब भोर॥

सुंदर-सी साड़ी पहन,बैठी गोरी आज।
मन उसका क्यों शांत है,करे नहीं कुछ काज॥

खनकती चूड़ी हाथ में,दिखे होंठ भी लाल।
नयनों में काजल लगे,लम्बे उनके बाल॥

हरियाली चहुँओर है,बहती झरने धार।
कितना सुंदर दृश्य है,गोरी करती प्यार॥

पैरों में घुँघरू सजे,नाचे मन में मोर।
छम-छम की आवाज से,जियरा लेत हिलोर॥

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