कर्म सदा करते रहो
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *************************************************** कर्म बनाये भाग्य को,कर्म सभी का मूल।दोष भाग्य को देत हैं,यही मनुज की भूल॥ भाग्य भरोसे बैठकर,कभी न सोचो व्यर्थ।कर्म सदा करते रहो,यह जीवन का अर्थ॥ जीवन कर्म प्रधान है,करता जो सत्कर्म।उसका भाग्य बुलंद हो,जीवन का यह मर्म॥ सुख-दु:ख मिलते भाग्य से,विधि का यही विधान।भाग्य बना है कर्म से,कर्म दिलाये मान॥ … Read more