जीवन

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** जोड़े से फिर ना जुड़े , मत तोड़ो विश्वास। टूटे तो यह आप भी, तोड़े जीवन आस॥ मधुर बोल हँसते सुमन, कटु है सूखी काठ।…

Comments Off on जीवन

बोले जो सच बोल

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* बुराई की जड़ जाने,इच्छा भ्रम व द्वेष। जो इससे बचकर रहे,कष्ट न होता लेश॥ चुप हो कर्म करे सदा,व्यर्थ न करे विवाद। भले आज…

Comments Off on बोले जो सच बोल

बूंदें जीवन की सौगात

अलका जैन इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** प्यास बुझाने को व्याकुल सावन की बूंदें, समंदर में जज्बा कहाँ प्यास बुझाने का यार रिश्तेदारों... बूंद-बूंद बारिश की बूंदें, बूंदों की बदौलत जीवन की सौगात…

Comments Off on बूंदें जीवन की सौगात

बसे हो मेरी यादों में…!

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* मेरे बाबा ! हूँ तुमसे दूर जरूर फिर भी बसे हो मेरी यादों में। दिया जन्म, माँ ने जरूर पर ममता तो उड़ेली तुमने…

Comments Off on बसे हो मेरी यादों में…!

बस,काम से काम रखो

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** आँखों में अक्सर अपने तूफान रखो, यहाँ सिर्फ अपने काम से काम रखो। दिल से नफरतें बाहर निकाल फेंको, तुम दिल में प्यार-मोहब्बत तमाम रखो।…

Comments Off on बस,काम से काम रखो

विश्व तुम्हारा करता वंदन

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ************************************************************** शाक्यवंश में जन्म लिया था, सुख से जीवन खूब जिया था वैभव पूर्ण सुखी जीवन को, क्यों तुमने धिक्कार दिया था ? यशोधरा…

Comments Off on विश्व तुम्हारा करता वंदन

रस्में

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रस्मों की जंजीरों से, हम सब हैं यूँ बंधे हुए। प्रीत के धागे में हों जैसे, फूल रंग-बिरंगे गुथे हुए। रस्मों-रिवाजों से समाज, आगे…

Comments Off on रस्में

बूढ़े सपने

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* आड़ी-तिरछी रेखाओं से अटा चेहरा, केश घटाएं चांदी हो गयी, मंद पड़ गयी नयन की ज्योति, पपड़ाए होंठ सूखा हलक़ झड़ गयी अब तो, दन्त-मालिका।…

Comments Off on बूढ़े सपने

माँ जैसा कोई नहीं

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* माँ की होती शक्ति अपार, माँ करती है निस्वार्थ प्यार। बदली दुनिया माँ रही वही, सृष्टि में माँ जैसा कोई नहींll माँ होती है ईश्वर…

Comments Off on माँ जैसा कोई नहीं

अनमोल प्रण बन गये

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* रातभर जो उबलते दृगों में रहे, प्रात होते ही क्यों ओस कण बन गये। खौलते नीर की तो व्यथा है यही, न गगन ही मिले न…

Comments Off on अनमोल प्रण बन गये