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विश्व तुम्हारा करता वंदन

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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शाक्यवंश में जन्म लिया था,
सुख से जीवन खूब जिया था
वैभव पूर्ण सुखी जीवन को,
क्यों तुमने धिक्कार दिया था ?

यशोधरा की प्रीत को छोड़ा,
राहुल पुत्र से नाता तोड़ा
निकल पड़े तुम किस तलाश में,
राजधर्म से क्यों मुख मोड़ा।

उमड़ पड़ी थी मन में प्यास,
पनघट को पाने की आस
घिर आये जब बादल काले,
जीवन में फैला अविश्वास।

जीवन है दु:ख का विस्तार,
दुख का कैसे हो निस्तार
दु:ख ही दु:ख है इस जीवन में,
दु:ख से भरा हुआ संसार।

तड़प रहा है मन व्याकुल-सा,
कष्ट झेलता है घायल-सा
कैसे दूर करूँ पीड़ा को,
भटक रहा है वो पागल-सा।

घूँट-घूँट क्यों विष पीता है,
फिर मरता है फिर जीता है
अंत कहाँ पर होगा इसका ,
वृथा यहाँ जीवन बीता है।

बस्ती से तुम दूर निकल कर,
वन पर्वत की ओर पहुँच कर
कष्ट साध्य तप किये अनोखे,
मिल पाया ना तुमको उत्तर।

पंडित ज्ञानी से भी पूछा,
राही सहगामी से पूछा
मोटे-मोटे ग्रंथ पढ़े और ,
आत्म तत्व से भी था पूछा।

बैठे बोधिवृक्ष के नीचे,
अपनी दोनों आँखें मींचे
क्षण वो आया ज्ञान मिला तब,
ज्ञान चक्षु जब थोड़ा खींचे।

जीवन में इच्छाएँ कम हो,
भोग-भोग का लालच कम हो
मध्यम मार्ग का साधक बन जा,
तब जीवन में कुछ ना भ्रम हो।

कारण ही तो कार्य बनाता,
मानव इसमें फँसता जाता
अष्टांगिक सिद्धान्त पे चलकर,
राह सत्य की मानव पाता।

सत्य अहिंसा के अवतार,
संयम था तुममें साकार
धर्म चक्र का किया प्रवर्तन,
पृष्ठभूमि सारनाथ आधार।

विश्व तुम्हारा करता वंदन,
भारत की माटी है चंदन
लंका चीन तिब्बत जापान,
बाली चम्पा तक अभिनंदन।

बुद्धं शरणं गच्छामि,
धम्मम शरणं गच्छामि
भिक्षु भिक्षुणी का ये मंत्र,
संघम् शरणं गच्छामि।

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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