छुट्टी गर्मी की

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ लो हो गयी छुट्टियां गर्मियों की, मन में जगी आस अपनों से मिलने उत्सुक है होगी मीठी बातl कुछ शादियों में जायेंगे जमकर धूम मचाएंगे,…

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तुम्हारी प्रीत के पौधे

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** झुकी पलकें अगर मेरी,तेरा मैं मान करता हूँ, उठी पलकें तो मानो यूँ,तेरा गुणगान करता हूँ। अगर पलकें हुई बोझिल,तो समझो याद करता हूँ, अगर…

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उठता धुआँ..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ कर बंदगी- धुआँ बन उड़ती, यह जिंदगीl कर तू दुआ- न जले कोई घर, न उठे धुआँl उठता धूम्र- दूषित होती हवा, घटती…

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आतंक और दो बूंद आँसू

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** उफ़्फ़!! क्या लिखूँ....? कैसे लिखूँ....? इस अबोध की भाँति आज, कलम हमारी थम गयी। देखकर यह तस्वीर रातभर मैं सो नहीं पाया, आँखों से…

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क्या हश्र हुआ !

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* उनका प्यार पाने की मेरी कोशिशों का कुछ ना हुआ, मेरी मौत पर कहा-लग ही गयी,आखिर बददुआ। मुझे भी करना ही पड़ा,फिर शुक्रिया अदा उनका,…

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मेरा भारत देश सुतंत्र बने

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** मैं वंदन नमन करूं भारत। जग में सबसे सुंदर भारत। यह विश्व में देश महान बने। मेरा भारत देश सुतंत्र बने॥ हिम ढका हिमालय जग…

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दिल से देता हूँ वोट..

जसवंतलाल खटीक राजसमन्द(राजस्थान) ************************************************************* मैं सबको सुनाता हूँ लेकिन,मैं हूँ बहरा किसी की नहीं सुनता मैं ये,आज कह रहा। मैं दिल से देता हूँ वोट,पैसों से नहीं, मेरा वोट है…

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गर्मी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** सर्दी जाती गर्मी आती, शुरू शुरू में यह सबको भाती। स्वेटर रजाई को दूर भगाती, जब वह अपने रंग में आती... सबको वह…

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कत्लेआम

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज भावनाओं का भी देखो ऐसे कत्लेआम होता है। घर में मारकर बीबी को वो, बाहर खूब जोर से रोता है। ऐसे कत्लेआम... बेटी…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-९ विधि को सुखद लगी यह जोडी, उसने आँखें चार करायीं यह कैसा संयोग अजब था, नजरें भी तलवार बनायीं। लगीं काटने वे…

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