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गर्मी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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सर्दी जाती गर्मी आती,
शुरू शुरू में यह सबको भाती।
स्वेटर रजाई को दूर भगाती,
जब वह अपने रंग में आती…
सबको वह पूरा पूरा सताती॥

सूरज का रहता है प्रचंड रूप,
बेहाल करता है जीवो को इसका धूप।
बचने को ढूंढते हैं सब सुंदर छाया,
कम ना होती फिर भी इनकी माया…
कोहराम मचा वह तो बहुत हर्षाया॥

घरों में लगे अब पंखे चलने,
बिजली की कमी लगी है खलने।
तन में सभी के पसीना बहता,
हाथ में सभी के अब पंखा रहता।
गर्मी में फूलने लगती सबकी साँस…
मिटाते ना मिटती अपनी प्यास॥

तालाब नदी पोखर गए हैं सुख,
पशु-पक्षियों को हुआ है अपार दु:ख।
पाने को राहत सभी ऊपर किए हैं मुख,
आओ मेघा बरसो और दो हमें सुख…
जीवन में है गर्मी से अपार दुख॥

कहता राजू इसका है एक ही निदान,
पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ तभी होगा कल्याण।
प्रदूषण रोको स्वच्छता लाओ,
होगी प्राप्ति सुख शांति समृद्धि महान॥

परिचय-साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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