साजन का प्यार

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** भर रखी आँचल में अपनी सुरमई-सी स्वर्ण शामें।कर रही श्रंगार सजना नेह गहनों के बहाने। घोल तेरी प्रीत तन पर तनिक-सा उबटन लगा लूँ,इत्र तेरे देह का…

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आज स्वागत में तुम्हारे

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* आज स्वागत में तुम्हारे, द्वार तोरण सज रहे।ढोल बाजे झांझ वीणा, आज देखो बज रहे॥द्वार पर घर आँगने में, सज रही है अल्पना।बस गया मनमीत मन में,…

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शीतल छाँव:पिता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीना जैसे पिता... करते दिल पर राज पिता थे,घर भर के सरताज पिता थे। थे हम सबकी खुशियाँ,संतानों का नाज़ पिता थे। भूत, भविष्य सभी कुछ…

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जनहित सार लिखें

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** स्वच्छ ज़मीन-स्वच्छ असमान... स्वच्छ रखें शुभ वसुंधरा यह कविवर जनहित सार लिखें,प्राणयुक्त जीवन दाता का गुण अनुपम आधार लिखें। मैली होती निसदिन गंगा मनुज स्वार्थ निज ध्येय…

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कल पर भी लिख दो

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** आग तो बहुत लिखी है जल पर भी लिख दो,आज पर बहुत लिखा, तुम कल पर भी लिख दो। वैदिका यज्ञ बना मृदुल मृदा मंत्रों की,शांति कर…

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शीत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धुंध छाई,लुप्त सूरज,शीत का वातावरण,आदमी का ठंड का बदला हुआ है आचरण। रेल धीमी,मंद जीवन,सुस्त हर इक जीव है,है ढके इंसान को ऊनी लबादा आवरण। धुंध…

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जय नाद

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** दैदीप्त होती दूधिया पूरब में परिमल पूर्णिमा,पश्चिम बची सिंदूर सुहानी पूर्णमासी अरुणिमा।सौंदर्य अनुपम मोहती मन पूर्ण पूनम चाँदनी,नाचे मुदित मन मोर झूमे देख छेड़े रागनी। अत्यंत मादक…

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दुःख में भी मुस्काना सीखो

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** दुःख में भी मुस्काना सीखो, ये रहने न पायेगा,रात अंधेरी ढल जाएगी, सुख सूरज मुस्काएगा। दुःख है तो घबराना कैसा, आती-जाती छाँव है ये,सच की छाया…

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तंत्र भी अब भ्रष्ट सारा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बिन मिलावट भोज भी पचता नहीं।जीने का इसके बिना रस्ता नहीं। झूठ का ही दबदबा है हर जगह,सत्य का अब राज है चलता नहीं। हर तरफ़…

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सुनता नहीं कोई

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हालात ऐसे हो गये सुनता नहीं कोई,सपने भलाई के भी तो बुनता नहीं कोई।  काँधे किसी भी और के रख दागता गोली,खुद सामने जाकर के क्यों…

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