कुल पृष्ठ दर्शन : 300

You are currently viewing सुनता नहीं कोई

सुनता नहीं कोई

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
******************************************

हालात ऐसे हो गये सुनता नहीं कोई,
सपने भलाई के भी तो बुनता नहीं कोई। 

काँधे किसी भी और के रख दागता गोली,
खुद सामने जाकर के क्यों धुनता नहीं कोई। 

सुनना किसी की चाहता बातें नहीं कोई,
जो कह गये बुज़ुर्ग वो गुनता नहीं कोई। 

हमसे जहां में ज्यादा कोई भी नहीं ज्ञानी,
मुझ-सा यहांँ पे और है दिखता नहीं कोई। 

इज्जत समाज तो गयी है भाड़ में सारी,
माँ-बाप को भी पूछता बेटा नहीं कोई। 

अपने अहम् से खुद ही है बदनाम दुनिया में,
करता बदी नेकी को है धरता नहीं कोई। 

अब भी बचा है वक्त जो खुद को सुधारो तो,
समझा रहा हूँ और अब रस्ता नहीं कोई॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

Leave a Reply