रिश्तों को मत तोड़ो
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** अपने छोटे से जीवन में क्या खोया क्या पाया हमने,नहीं किया गर अच्छा कुछ भी जीवन व्यर्थ गँवाया हमने। टूट रहे संबंध सभी भाई भाई को…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** अपने छोटे से जीवन में क्या खोया क्या पाया हमने,नहीं किया गर अच्छा कुछ भी जीवन व्यर्थ गँवाया हमने। टूट रहे संबंध सभी भाई भाई को…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** नवरात्रि विशेष.... रचनाशिल्प:२६ मात्राएं-१४,१२ पर यति,अंत में लघु गुरुकालरात्रि महागौरी, सिद्धिदात्री अंबिका।जगत माता जगत धात्री, दुर्गा जगदंबिका।जगत जननी दुष्टदलनी, मधुकैटभ हारिणी।विश्वेश्वरी माँ भवानी, महिषासुरमर्दिनी॥ रक्तबीज विदारिणी…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** कौन ये बैठा शिला पर,रातभर है जागता,देखता है शून्य में वो,चाँद-तारे ताकता।हाथ में लेकर धनुष वो,लग रहा है वीर-सा,भाव मुखड़े पर लिए यूँ,संत कोई धीर-सा॥…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** मेघ सा वो नाद करके, हँस पड़ा था जोर से,तू बचेगा अब कहाँ से,भाग जा रण छोड़ केदर्प से सीना फुलाकर, बुदबुदाने वो लगा,बाण अपना…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जैसे रितिका हो तुम,प्यारी प्रीतिका हो तुम…। गहन बासंतिक कोई,जैसे वीथिका हो तुम…। मंदिर मध्यम जलती,दीप्त दीपिका हो तुम…। हर्षाती मृदु मधुरस्वर गीतिका हो तुम…। कोमल तरल…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* इस धरती का मान,बढ़ाती है नारी,सुंदर घर संसार,चलाती है नारी। निर्मल मन से ज्ञान,हमें शिक्षा देती,कंटक पथ में देख,हटाती है नारी। जीवन का प्रारंभ,उसी से है…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** पर्यावरण बचाइये,धरिये मन यह बात।पेड़ लगाएं भूमि पर,आज करेऺ शुरुआत॥धरती हरियाली सजी,वृक्ष सजे नव पात।फूलों से महके खिले,सजे हुए हरषात॥ धरती अंबर खिल उठे,महक उठे बरसात।शुद्ध…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:विधाता छँद -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२... कहो कुछ भी रखो कुछ नाम पर है जात पानी का,सहे तन चोट को,सहता नहीं आघात पानी का। कहो आँसू…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** कृषि कानून विशेष..... खिल उठी है ये धरा जो लाल वापस आ गए,खेत जो सूखे पड़े थे आज बादल छा गए।देख घर से आ रही…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हिय हरिणी मुख मोहना,हँसत बदन नँदलाल,गोपी गौओ सँग फिरे, गोकुल में गोपाल। करे खेल लीला रचे,धर मानव के रूप,परमब्रम्ह मानव बने,दानव राक्षस काल। बेणुतान ही अस्त्र है,शस्त्र…