हायकू
बरसो मेघा रे….
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखी है धरा- बरसो रे ओ मेघा… कर दो हरा। सूखे हैं ताल- कर दो हरियाली… भूखे हैं बाल। वन पुकारे- बढ़ता रेगिस्तान… जन हुँकारे। न तरसाओ- उमड़-घुमड़ के… बरस जाओ। तृषित तन- बरसो काले मेघा… हर्षित मन। परिचय–निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more
रखना ध्यान…
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ करना मान- बुज़ुर्ग माँ-बाप का, रखना ध्यान। करोगे सेवा- निःस्वार्थ भावना से, मिलेगा मेवा। रखना ख़ुश- भूल कर मत दो, कोई भी दुःख। करो प्रयास- माँ-बाप कभी न हो, यारों उदास। खुशी या गम- उनकी आँखें कभी, नहीं हों नम। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। … Read more
पिता ही प्रतिष्ठा
अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* १६ जून `पितृ दिवस’ विशेष… पिता पालक, घर के संचालक- मान दीजिए। पिता ही ज्ञान, छाया है अनमोल- साथ दीजिए। पिता ही आन, पिता ही मेरी शान- ज्ञान लीजिए। पिता हैं प्यार, घर का संस्कार- प्रेम कीजिए। पिता से जन्म, पिता सच्चे देवता- पितृ पूजिए। भला सोचते, कटु दिखते पिता- … Read more
पावन गंगा..
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मन है चंगा- हर घर-घर में, कटौती गंगा। निर्मल नीर- हर पल कहता, मन की पीर। पावन गंगा- पापों को धोते-धोते, हो गई मैली। अमृत भरा- गंगा प्रधान तीर्थ, पुण्य की धरा। करो उद्धार- गंगा तेरी महिमा, अपरम्पार। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more
धरा की पीर…
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखता नीर- कौन समझता है, धरा की पीर। कटते वन- धरती में दरारें, झुलसे तन। बने जंजाल- चारों तरफ उगे, कंक्रीट जाल। व्यर्थ न बहे- जल ही जीवन है, दुनिया कहे। सुन ले भाई- बढ़ता रेगिस्तान, प्यासा राही। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more
छू लो आकाश
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ पथ दुर्गम, सदा बढ़ते जाना- खुशी या गम। छोड़ आलस, बनकर उद्यमी- छू लो आकाश। रुकना नहीं, सामर्थ्य पहचानो- झुकना नहीं। जीवन पथ, न होना विचलित- है अग्निपथ। धरना धीर, श्रम का फल मीठा- कहता ‘नीर’। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ … Read more
जागी है विभा..
हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* आँखें जगी है, रात सोई-सोई-सी बातें छिड़ी हैं। आँगन बीच, ये स्वप्निल नयन ये नभ झील। है मंद-मंद, चल रही पवन पलकें बंद। गुजर रही, पहर पे पहर रात सहमी। कुतर रहा, कोई चाँद धीरे से वो घट रहा। बोझिल कंठ, सूखे मुख अधर मादक गंध। औंधी पड़ी है, वो … Read more
राणा प्रताप..
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मेवाड़ी आन, महाराणा प्रताप देश की शान। राणा प्रताप, कोई न सह पाया उसका ताप। राणा महान, भूल नही पायेगा ये हिंदुस्तान। महल छोड़ा, मुगलों का गुरूर राणा ने तोड़ा। कोटि नमन, राजस्थानी माटी को कोटि वंदन। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि … Read more
बसंत आया
प्रभावती श.शाखापुरे दांडेली(कर्नाटक) ************************************************ काले बादल, झूम-झूम बरसे- धरती परl वर्षा की मस्ती, ले कागज की कश्ती- चल घूमें रेl रंग-बिरंगे, छाते जो काले नीले- लागे सुंदरl ओस की बूँदें, छाये पंखुड़ियों पे- मानो मोती होl बसंत आया, महकाई बगिया- खिले कुसुमl छह ऋतुएँ, जीना सिखाए हमें- विविध रँगl परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी … Read more