पावन गंगा..
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मन है चंगा- हर घर-घर में, कटौती गंगा। निर्मल नीर- हर पल कहता, मन की पीर। पावन गंगा- पापों को धोते-धोते, हो गई मैली। अमृत भरा- गंगा प्रधान तीर्थ, पुण्य की धरा। करो उद्धार- गंगा तेरी महिमा, अपरम्पार। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more