वृद्धाश्रम… ५० करोड़…

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ ट्रि.ट्रि.ट्रि…“अरे, सुयश आज इतने दिनों बाद मेरी याद कैसे आ गई ?’सौम्या कैसी हो तुम ?’’“मैं तो ठीक हूँ, सीधे-सीधे काम की बात करो।‘’“एक प्लान है, उसके लिए मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है।‘’“साफ-साफ बोलो, भूमिका न बनाओ।‘’“मेरे पास एक बिल्डर आया था। वह अपनी कोठी और बगीचे को तोड़ कर उस … Read more

आखिर क्यों ? स्त्री को कम आँकते…

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** हमारे समाज में ‘स्त्री’ शब्द जितना कोमल है, उसकी स्थिति उतनी ही जटिल रही है। युगों से स्त्री ने हर क्षेत्र में अपनी योग्यता, संवेदना और शक्ति का परिचय दिया है-फिर भी उसे अक्सर ‘कमतर’ समझा जाता है। प्रश्न उठता है-आखिर क्यों ? लंबे समय तक स्त्रियों की आर्थिक निर्भरता ने उन्हें … Read more

घोषणा-पत्रःलोकतंत्र का सशक्त हथियार या चुनावी छलावा ?

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों ही गठबंधनों ने बढ़-चढ़कर लोक-लुभावनी और जनता को आकर्षित या गुमराह करने वाली घोषणाओं से जुड़े चुनावी घोषणा पत्र जारी किए हैं। जिस तरह की घोषणाएं की गई हैं, वे निश्चित रूप से अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। यह प्रश्न अब गंभीर हो गया है कि क्या घोषणा पत्र लोकतंत्र … Read more

आत्महत्या

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* “रेणु, तुम अंशुल से कह दो, इस दिवाली पर न आए… फिर दस-बारह हजार लग जाएंगे चार दिन के, अभी वैसे भी बहुत खर्च हो गया है… हॉस्टल और कॉलेज की सालभर की फीस जमा दी है। मैंने कहा तो उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है।”अभिजीत ने भुनभुनाते हुए … Read more

युवा वर्ग ही बचाए धरती को

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ प्यार की धरा जहां लगातार प्रभावित होती रहती है, सत्य, अहिंसा, त्याग व दया की नींव पर मानव अपने सिर को ऊँचा करके चलता है। जहां पशु-पक्षियों तथा अन्य प्राणियों की रक्षा व उनकी सुरक्षा करना हम सभी के धर्म में लिखा है, वहीं भारतीय संस्कृति व सभ्यता की अनमोल … Read more

अंतर है तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** बहुतायत लोगों की यह धारणा होती है कि तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान- ये तीनों एक ही विषय के अलग-अलग नाम हैं, किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। अध्यात्म-विज्ञान की दृष्टि से देखें तो ये अलग-अलग पड़ाव हैं। प्रत्येक का अपना क्षेत्र, उद्देश्य और लक्ष्य है। इन्हें क्रमवार समझना आवश्यक है:-🔹तंत्र … Read more

जब समुदाय सशक्त, तब ही शहर समृद्ध

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** ‘विश्व शहर दिवस'(३१ अक्टूबर) विशेष… ‘विश्व शहर दिवस’ हर साल ३१ अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य शहरीकरण में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की रुचि बढ़ाना, चुनौतियों का समाधान करने में देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना और सतत विश्व नगर योजना को अधिक मानवीय, अपराधमुक्त एवं पर्यावरण संपोषक बनाना है। यह … Read more

प्रदूषण:अधिकार के लिए एकजुट हों

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण एक बार फिर दुनिया की नजरों में भारत की राजधानी को शर्मसार कर रहा है। कभी संस्कृति, ऊर्जा और प्रगति की पहचान रही दिल्ली आज धुएं और धूल की चादर में लिपटी दिखाई देती है। हवा में घुला ज़हर इस हद तक बढ़ चुका है कि साँस लेना … Read more

स्वास्थ्य और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है संतान को

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ छठ पर्व विशेष… छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाने के ६ दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।यह ४ दिन का त्यौहार है और इसमें सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस व्रत को करने के नियम … Read more

प्रकृति और अस्तित्व

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* सूरज आरक्त होकर पश्चिम की देहरी पर ढलने जा रहा है। अपने सम्पूर्ण ओज से ढुल-मुल स्वर्णिम किरणों का आख़री स्पर्श सृष्टि पर फेरता हुआ धीरे-धीरे क्षितिज के उस पार ओझल होता जा रहा है। शाम अपने रंगीन अंदाज से छम-छम पैंजनिया बजाती हुई बिल्ली के कदमों सी हौले-हौले उतरने लगी … Read more