जिस दिन अंतःतमस मिटेगा

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* जिस दिन अंत:तमस मिटेगा,समझो सच्ची दीवाली।मानवता का भाव जगेगा,हृदय नहीं होगा खाली॥ दीन-दुखी की सेवा करते,समझो मन उनका सच्चा।लोभ मोह में फँसा रहे जो,उसका मन जानो कच्चा।प्रति पल मानुष हँसकर बैठे,प्रेम भाव की हो डाली।जिस दिन अंतः तमस मिटेगा,समझो सच्ची दीवाली…॥ फुलझड़ियों-सा रौशन कर दें,समता जग में फैलाएँ।मीठे पकवानों-सा सुंदर,मधुर गीत … Read more

अजब-गजब रोटी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हाय गरीबी! क्यों तंग करते हो,रोटी के लिए भूख से मारते होरोटी-रोटी कह के क्यों सबको,तुम हरदम ही रुलाते रहते हो। कब-तक ऐसे तड़पता रहूॅ॑गा,और संग सब भटकता रहूॅ॑गाभूख से रोते हैं घर में बेटा-बेटी,तन में वस्त्र नहीं-पहने है लंगोटी। गजब का है हर मनुष्य का पेट,खुला है रोटी के लिए … Read more

साधन और साधना

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** मन में रावण बैठा है यदि,बोलो कैसे राम मिलेगा।साधन ही दूषित होंगे तो,दूषित ही परिणाम मिलेगा॥ साधन ही आधार योग का,साधन मन को शुद्ध बनाता,बिना नियम यम के दुनिया में,कोई सिद्ध नहीं हो पाता।वृक्ष बबूल लगाये हैं तो,फल उसका क्या आम मिलेगा,मन में रावण बैठा है यदि,बोलो कैसे राम मिलेगा…॥ संत … Read more

है सुहाग बहुत बड़ा वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* हर नारी नित माँगती,कायम रहे सुहाग।युगों-युगों पलता रहे,जीवन में अनुराग॥ नारी करवा पूजकर,माँगे यह वरदान।हे! माता देना सदा,पति को जीवनदान॥ नारी की खुशियाँ तभी,जब तक संग सुहाग।बिन सुहाग फुफकारता,तन्हाई का नाग॥ काया का सौंदर्य भी,चाहे सदा सुहाग।वरना हर श्रृंगार तो,हो जाते बेराग॥ सचमुच में अभिशाप है,नारी,बिन सिंदूर।हो जाता उल्लास तब,नारी … Read more

धरती

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** धरती मेरी मातु है,देखो स्वर्ग समान।हरियाली चहुँओर हैं,कण-कण में भगवान॥कण-कण में भगवान,बसे हैं हलधर भैया।कृष्ण कन्हैया लाल,राम कौशल्या मैया॥कहे ‘विनायक राज’,कष्ट सारे ये हरती।बारम्बार प्रणाम,हमारी प्यारी धरती॥

फैल रही दूधिया चाँदनी

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** फैल रही दूधिया चाँदनी,पूर्ण चन्द्र सुहावनी,पँख लगा मन उड़ पहुँचा,गगन पार उड़ावनी।देख रही धरती आनंदित,शीश तारे छाँव में-तारा मंडल बन सरिता सर,दीपदान मन भावनी॥ जनम-जनम साध हुई पूरी,मैं बनू मधु मानिनी,कभी-कभी रथ शशि की बैठूँ,बनती दिव्य दामिनी।निहारिका तक लम्बी पींगें,पुलकित है वसुंधरा-पांव फैला पवन हिंडोले,छेड़ूँ प्रेम रागिनी॥ सर-सर करते पवन झकोरे,संग देती ताल … Read more

साँसों की डोर

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ ये साँसों की है डोरें न पकड़ी गई।किसी से भी मोहरें न जकड़ी गई। अता न हो सकेगी नेमतें ख़ुदा की,आँखों की ये कोरें न सूखी गई। किसको सुनाऊँ मैं हाले दिल सभी,बात दिल की किसी से न बोली गई। अश्क़ आँखों से भी छुपाते रहे हम तो,दास्तानें ग़मों की न खोली गई। … Read more

याद उन्हें तुम हर पल करना

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* याद उन्हें तुम हर पल करना जो मौत से भी लड़ रहे हैं,निज सुखों को कर न्योछावर प्राण मनुज का गढ़ रहे हैं। जब कभी भी आई आफत हमने स्वयं को लिया छुपा,वो अस्पतालों में कभी तो कभी सीमा पर लड़ रहे हैं। नित प्रात: संध्या सह सदा … Read more

कुदरत

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* पेड़ को हम बो तो सकते हैं,लेकिन उगा नहीं सकतेबिन कुदरत की इच्छा के,बड़ा नहीं कर सकते।वो सुंदरता वो आकार,मंत्रमुग्ध करती सुवासभी नहीं दे सकते,जो कि कुदरत देती है।लाख कोशिशों के बावजूद,मनचाहे रंग नहीं भर सकते॥

पहले साफ करो मन

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** मुझसे भी न जाने बड़े-बड़े,हैं कितने सारे रावण खड़े। अतिअत्याचारी व्यभिचारी,बलात्कारी अतिभ्रष्टाचारी। वो क्यूँ पूजे जाते हैं फिर,क्यूँ मेरे काटे जाते हैं सिर। उनको भी फिर मारो तीर,वो भी जानें होती क्या पीर। लाख थी मुझमें खूब बुराई,पर नहीं कभी रोटी चुराई। न ही किसी का पेट काटा,न पशुओं का … Read more