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फैल रही दूधिया चाँदनी

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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फैल रही दूधिया चाँदनी,पूर्ण चन्द्र सुहावनी,
पँख लगा मन उड़ पहुँचा,गगन पार उड़ावनी।
देख रही धरती आनंदित,शीश तारे छाँव में-
तारा मंडल बन सरिता सर,दीपदान मन भावनी॥

जनम-जनम साध हुई पूरी,मैं बनू मधु मानिनी,
कभी-कभी रथ शशि की बैठूँ,बनती दिव्य दामिनी।
निहारिका तक लम्बी पींगें,पुलकित है वसुंधरा-
पांव फैला पवन हिंडोले,छेड़ूँ प्रेम रागिनी॥

सर-सर करते पवन झकोरे,संग देती ताल री,
लता लिपटती बेल पात से,ताकती निशि साँवरी।
जागी मोहक स्वप्न सुनहरे,पुरणमासी छोड़ के-
रथ झूले ना होते चंदा,माया गुलबकावरी॥

शीत चाँदनी झर-झर झरती,होत भोर विभावरी,
स्वप्न लोक विचरण मानसनिधि,पिये सरस सुधाभरी।
शीतल चंचला सुख पाख भर,छुप जाएगी चाँदनी-
बन्द रेत मुठ्ठी-सी जिंदगी,भूल ना री बावरी॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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