गौरव का परचम,जग में फहराना होगा

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** चहुँओर से सीमा पर आतंकी गतिविधियाँ जारी हैं,शत्रु से लोहा लेने की अपनी पूरी तैयारी है।एक निवेदन है बहनों-माताओं से-कवियों से,थोड़े दिन के लिए दूर हों,श्रृंगारी रतियों…

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क्यों लुभाती हो…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** खनकती चूड़ियां तेरी,मुझे क्यों लुभाती हैंखनक तेरी पायल की,हमको क्यों बुलाती हैहँसती हो जब तुम,तो दिल खिल जाता हैमोहब्बत करने को मेरा,मन बहुत ललचाता है। कमर की…

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‘घर-परिवार’ का महत्व बताकर मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ व डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी बने प्रथम विजेता

डॉ.शिव शरण श्रीवास्तव 'अमल' तथा गोवर्धन दास बिन्नाणी 'राजा बाबू' ने पाया स्पर्धा में दूजा स्थान इंदौर(मप्र)। हिंदी लेखन को बढ़ावा,कोपलों को प्रोत्साहन और मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा…

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भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जनता से भाषाई भेदभाव करने पर लोक शिकायत

रायसेन(मध्य प्रदेश)। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जनता से भाषाई आधार पर भेदभाव करने पर लोक शिकायत की गई है। महोदय,भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा भारत की जनता से भाषाई…

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मन के कागज पर

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** मन के कोरे कागज पर,तुम्हारा नाम लिखूंगाअब जिंदगी भर तुम्हारे,नाम की माला जपूंगा। मन के कागज पर,लाल स्याही से लिखूंगातुम्हारे लिए सारे,ज़माने से लड़ूंगा। मन…

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तपती धरती

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** धरती तपती देखी तो मानव घबरा गया,शिकायतों का पुलिंदा लेकर कैलाश पर्वत आ गया।कैलाश पर पार्वती संग बैठे थे भोले,मानव भोले से ऐसे बोले।बचा लो प्रभु…

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विश्वास है गर ख़ुद पर,अड़े रहो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** विश्वास है गर ख़ुद पर,अड़े रहो।हर बुराई,मुश्किल से भिड़े रहो॥ ज़िन्दगी दर्द की कहानी है,हर ओर पीर की बयानी हैपर है भीतर आपके जज़्बा,तो हर…

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कंटक पथ में मानुष बनता

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* कंटक पथ में मानुष बनता,कैसे मैं बढ़ पाऊँगी।पंख कतर कर रखते बोलो,कैसे मैं मुस्काऊँगी॥ निर्मल मन से स्वप्न सँजोए,इस धरती पर आती हूँ,सीमाओं का बंधन मन…

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बस वही मनाते हैं त्यौहार

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* लोग उन्हें भले कहें गँवार,पर वही मनाते हैं त्यौहार।सावन के जब लगते मेले,आप तो घर में पड़े अकेले।वो परिवार के संग हैं जाते,हँसते-हँसाते मौज मनाते।गुड़…

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मानवता बचाएँ

वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** इस सुंदर पृथ्वी पर, एक मानव ही है जिसकी खोती जा रही पहचान, भूलता जा रहा अपना अस्तित्व। संपूर्ण जगत में, प्रत्येक प्राणी में उनका अपना…

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