सकारात्मकता का संचार करे,ऐसे साहित्य का सृजन करें

लोकार्पण...... इंदौर (मप्र)। वर्तमान 'कोरोना' दौर में लोगों में इस महामारी को हराने का जज़्बा पैदा करें ऐसे साहित्य की समाज को जरुरत है। नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता का…

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बचा रहे अस्तित्व

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** बचा रहे अस्तित्व स्वयं का,पड़ी सभी को अपनी-अपनीहम एक-दूजे से सभी जुड़े,साथ-साथ रह जिंदगी कटनी। मेल-जोल जब सब सोच रखें,'मैं' की पोटली खोल भी दे'हम' की प्रेम धार…

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वर्तमान में नैतिकता की बहुत आवश्यकता

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)************************************** यह संतोष और गर्व की बात है कि देश वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्र में आशातीत प्रगति कर रहा है। विश्व के समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देशों से टक्कर ले…

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प्रेम की बजने लगी शहनाई

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* निर्दयी 'कोरोना' रूप विकट चहुँ दिशि दिखे उत्पात,लॅाकडाउन है दुःख,कृन्दन अब मानव तन पर आघातमैं पूर्व भ्रमण स्मृतियों में डूबा हुआ था आज,हे गिरिधर यशोदा नंदन…

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मासूम माँ

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ अपने जब शत्रु हो जाते हैं,वो बड़े भारी पड़ जाते हैं।हारना तो निश्चित हो जाता हैहम बहुत बेबस हो जाते हैं।घर-घर महाभारत चल रही है,आज भाइयों के साथ-साथ,बहू…

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संग्रह का निहित स्वार्थ छोड़ना होगा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************** आज संसार में मानवीय मृगतृष्णा सागरवत मुखाकृति को अनवरत धारण करती जा रही है। एतदर्थ मनुष्य साम,दाम,दंड,भेद,छल,प्रपंच, धोखा,झूठ,ईर्ष्या,द्वेष,लूट,घूस,दंगा,हिंसा,घृणा और दुष्कर्म आदि सभी भौतिक सुखार्थ…

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मानव हूँ

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम।कभी न सोचूँ अहित काज का,निज अंजाम॥ लोभ मोह में फँसता जाता,मैं अज्ञान,दीन-दुखी को बहुत सताया,बन अनजान।पीछे मुड़कर पीर न…

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लम्हें…

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** गुजरा हुआ हर पल लम्हा बन जाता है,हर लम्हा यादों का बसेरा बन जाता है। कभी-कभार हँसाता है,तो कभी रूला भी देता है,कुछ को भुला देते…

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आचार्य द्विवेदी का संपूर्ण साहित्य मानव की प्रतिष्ठा का प्रयास

डॉ. दयानंद तिवारीमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ जिसमें सारे मानव सभ्यता को सुंदर बनाने की कल्पना की जाती है,उसे ही तो साहित्य कहते हैं। साहित्य की हर महान कृति अपनी ऐतिहासिक सीमाओं का…

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भयावहता में चेतना जाग्रत करने के उद्देश्य से सृजित कविताएं समाज सेवा ही-प्रो. खरे

मंडला(मप्र)। कोरोना की विभीषिका दिल दहला देने वाली है,जिसने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। हम कवि-लेखक-कलाकार भी घबराए,पर बाद में न केवल हम खुद संभले,बल्कि अपने सृजन व…

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