दु:खहरिणी माँ

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* नवरात्र विशेष….. मेरी माता रानी…दु:खहरिणी माँ भवानी,तेरी महिमा भारीकष्ट निवारण मैया,रख लो लाज हमारी। मेरी माता रानी…ब्रह्मचारिणी माँ तू है,रूचि-शुचि धारिणीतेरे पावन कदमों से,जगमग देहरी हमारी। मेरी माता रानी…दु:ख विनाशिनी,शुम्भ-निशुम्भ निवारणीजल्दी दरस दिखाओ,अँखियाँ हैं पानी-पानी। मेरी माता रानी…बिन्दिया सोहे भाल,हाथों में सोहे मेहन्दीपग मे तेरे घुंघरू बाजे।छम-छम करती आई,मेरी माता रानी…॥ परिचय-सुखमिला … Read more

उन्नति के लिए साधना अनिवार्य

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** नवरात्र विशेष….. व्यक्तिगत जीवन में सुख,शांति,समृद्धि और समाज तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए साधना की अनिवार्य आवश्यकता है। सनातन धर्मावलंबी आत्म रक्षा व राष्ट्र रक्षा के लिए नित्य गायत्री महामंत्र,महामृत्युंजय मंत्र,भगवान चित्रगुप्त मंत्र और गुरु प्रदत्त मंत्र या अपने इष्टदेव के मंत्र का नियमित जाप करें एवं शक्तिवान बनें।अपने समाज में … Read more

तुम ही थे रहबर

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** गांधी तुम्हारे बिन ये देश है बंजर,आँखें बनी हुई हैं इक खारा समुंदर। लड़ते हैं भाई-भाई आपस में अब यहाँ,ताने हुए रहते हैं सभी हाथ में खंज़र। तुमने पढ़ाया पाठ अहिंसा का था हमें,ताण्डव यहाँ हिंसा का होता है निरंतर। लोगों के दिल में आपसी सद्भाव ना रहा,क्या होगा नतीज़ा कुछ … Read more

मार्ग अहिंसा विजय पथ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** सत्य-अहिंसा नीति रथ,आज़ादी की क्रान्ति।बुद्ध जैन गाँधी तिलक,कोटि-कोटि पथ शान्ति॥ शील त्याग गुण कर्म का,मानक था जो लोक।सत्य-अहिंसा सारथी,गाँधी थे आलोक॥ सत्य-अहिंसा प्रीत बिन,भौतिक नित संसार।हिंस्र भाव मिथ्या छली,विश्व मनुज आचार॥ दया धर्म करुणा हृदय,सदाचार तप स्नेह।पथिक अहिंसा बुद्ध बन,मुक्ति सुखी जग धेय॥ समरथ को नहि दोष है,पातक को … Read more

रिश्ते

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** तेरा-मेरा रिश्ता तो,जज्बात से जुड़ा हैये वो संगम है जो,बिन मुलाकात से जुड़ा हैमिलना बिछड़ना तो,नसीब की बात हैये वो बंधन है जो तेरी-मेरी खुशी,और चाहत के एहसास से जुड़ा है। बिना मिले बंधन और संबंध,निभाना बहुत बड़ी बात हैइस कलयुग में संबध बनना,अपने-आपमें एक मिसाल हैइस युग में अपने अपनों को,ही … Read more

दिव्य नौ दिवस…

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** नवरात्र विशेष…. नवरात्रि उत्सव में तो,माता की आराधना हैशक्ति के आव्हान पर,भक्त की ये साधना है। उपवास एवं जागरण,ये सात्विकता होती हैपूजा-अर्चना करने से,यह पवित्रता होती है। मनुष्य अपने अवगुण,भूल समर्पित होता हैमाता के चरणों में ही,स्वयं अर्पित होता है। आसुरी वृत्तियों से दूर,ये तन की भव्यता हैसात्विक विचारधारा,से मन की दिव्यता है। … Read more

समकालीन कविताएं दिनकर के युगधर्म,हुंकार और भूचाल से प्रभावित

कवि सम्मेलन…. मंडला(मप्र)। राजनीति जब डगमगाती है,तब साहित्य उसे संभाल लेता है। साहित्य की इस प्रासंगिकता को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बखूबी समझते थे। शायद,यही कारण था कि उन्होंने सौंदर्य शास्त्र की अनुपम भेंट ‘उर्वशी’ का सृजन करते हुए भी,राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत ओजस्वी कविताओं का सृजन खूब जमकर किया।समकालीन कविताएं दिनकर के युगधर्म,हुंकार और … Read more

तर्पण करो,पाओ आशीष

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************** पितृ पक्ष विशेष…… तर्पण पुरखों का करो,पाओ तुम आशीष।नहीं झुकेगा शीश प्रिय,दया करें जगदीश॥ पुरखे मंगल भाव रख,आते हैं इहलोक।तर्पण से पा नेह वे,परे हटाते शोक॥ तर्पण में तो धर्म है,अपनों का सम्मान।तर्पण से संस्कार भी,करते हैं यशगान॥ तर्पण पावन कर्म है,पुरखों की है याद।तर्पण से हटता सदा,जीवन का अवसाद॥ … Read more

रोचक हिंदी वर्णमाला

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या  स्पर्धा  विशेष…… अ-अपनी हिंदी,आ-आत्मा की कुंडीइ-इस ओर आओ,ई-ईर्ष्या तृष्णा मिटाओउ-उधर मुठ्ठी में शब्द,ऊ-ऊपर इधर प्रारब्धऋ-ऋचाओं से लब्ध,ए-एक-एक अक्षरऐ- ऐसी सुंदर अन्य लिपि से बढ़कर,ओ-ओज हिंदी में लाइएऔ-और हिंदी तो क्या चाहिए,अं-अंगूरी की बिंदीअ:-लगती प्यारी हिंदी,क-कड़ी भारत जोड़ेख-खिली कली न तोड़े,ग-गेय ज्ञान की हिंदी गंगाघ-घट-घट बसती हो … Read more

महिमा भारत भूमि अपार

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** प्रति क्षण व्रत तथा त्यौहार,मिलकर हम मनाते हैं,महिमा भारत भूमि अपार,आज ऋषि गुण गाते हैं।पंचमी कर नारी घर द्वार,अशुद्धि से शुचिता पाती-ऋषि व्रत की कह कहानी सार,जिसे हम मिल गाते हैं॥ उन श्रेष्ठ सप्त ऋषियों स्मृति रख,स्वयं ऊर्जा शासित है,साधना से धूसर आकाश,तप-दीप्त प्रकाशित है।वामदेव,विश्वामित्र,वशिष्ठ,शौनक कण्व,द्वाज,अत्रि-तप सगुण ज्ञान तारा मंडल,श्रेष्ठ वन्दित,वासित है॥ परिचय–ममता … Read more