ऊँची सोच

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** रवि-'अरे यार क्या पढ़ाई कर रहे हो ? आज तो मास्टर जी भी नहीं आए हैं।'सुनील-'ऐसे ही किताब देख रहा था।'रवि-'अरे यार ज्यादा पढ़ाई करने से क्या फायदा…

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माँ! सादर शत्-शत् नमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** माँ! सादर शत्-शत् नमन,मातृशक्ति अभिराम।ममता करुणा प्रेम रस,नीर क्षीर सुखधाम॥ माँ अम्बे जगदम्बिके,जननी जीवन छाँव।नेह नीर नयनाश्रु से,हरती जीवन घाव॥ माँ जीवन नव अरुणिमा,पा…

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माँ करुणा की मूर्ति

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज्ञानी गंगा है कहे,जिसको जग संसार।निर्मल ममता बाँटती,मातु हृदय का सार॥मातु हृदय का-सार ज्ञान वो,प्रथम सिखाती।देती शिक्षा,सही-गलत की,राह बताती॥'आशा' कहती,इस जगती में,बढ़कर दानी।सदा रही है,सदा रहेगी,माँ…

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माँ तुझे प्रणाम

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ माँ तुझे प्रणाम,माँ तेरी चरण वन्दना,मेरी प्यारी माँ,तेरी महिमा का क्या कहना। हमारी जन्मदाता,हे माता तुम्हीं तो हो माता,मेरी प्यारी माँ तुम से बढ़कर नहीं है…

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लोग पत्थर के हुए

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कूप अब पाताल में ईमान के गरके हुए हैं।गीत बोलो क्या सुनाऊँ,लोग पत्थर के हुए हैं। निर्भया को न्याय मिलने में लगे थे साल कितने,राम तंबू…

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सभी नागरिक एक बराबर

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** ईश्वर ने एकात्म दृष्टि से,मानव का निर्माण कियासभी जनों को एक भाव से,ही सारा अनुदान दिया। हवा चल रही सदा-सदा से,सबको वह मिल जाती हैकोई बोए,कोई काटे,धरती…

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दर्पण झूठ नहीं कहता

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** धूल जमीं तेरे चेहरे पे तो,दर्पण पोंछने से क्या होगा,अक्स दिखाता है तेरी सूरत,तेरे सोचने से क्या होगाचेहरे की धूल को जरा,साफ करके देख ये आईना,दर्पण…

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समझ ही लेती हो अनकही बातें

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)*********************************** माँतुम्हारे लिए,मेरे पास शब्दों से परे थी भाषाआज भी वैसी ही है भाषा,इतनी बातों के दरम्यानतुम समझ ही लेती हो,मेरी अनकही बातें। आज भी मैं ठिठक कर…

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ग़ज़ल के चलते-फिरते विश्वविद्यालय थे डॉ. दरवेश भारती

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) *************************************** श्रद्धांजलि:स्मृति शेष...... 'जितना भुलाना चाहें भुलाया न जायेगा,दिल से किसी की याद का साया न जायेगा।'इस संजीदा अशआर को कहने वाले डॉ. दरवेश भारती जी ३ मई…

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बहुत मुमकिन

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-अना,रदीफ़-मुमकिन मिरा,बहर २१२२,२१२२,२१२२,२१२ हो जुदा उनसे तड़पना है बहुत मुमकिन मिरा।याद में उनकी मचलना है बहुत मुमकिन मिरा। गर्म साँसों की चुभन आती है मुझको…

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