जुल्म तूने क्या कर दिया

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** जुल्म मुझ पर भी तूने जाने,ये क्या कर दियामेरे दिल में ही रहते थे,मुझे ही बेघर कर दिया,मैं तो बसर कर लूंगा,तन्हा आसमां के नीचे भी-तूने…

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किसानों की पीड़ा

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** इस धरती पर देव है,अपने सभी किसान। उपजाते हैं अन्न को,सबके ये भगवान॥ आज दुर्दशा देख लें,नित्य बहाते नीर, आय नहीं है क्या करें,कितना सहते पीर,…

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प्यास

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************************************* कटते जंगल नित्य हैं,हुआ प्रदूषण घोर।प्यासी मरती है धरा,संकट है चहुँ ओर॥संकट है चहुँ ओर,वन हो गए हैं खाली।तड़प रहे सब जीव,प्यास से हो बेहाली॥कहता कवि…

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अपमान हो या मान

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जब भी लिखूँ,सच्चा लिखूँ,चाहे जहां जो भी कहे,मझधार में ही छोड़ दे,या उर लगा मुझको गहे ।नहीं फ़र्क इसमें मानता,अपमान हो या मान हो,भगवान का…

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हितभरी वाणी से बरसता है आनंद,प्रेम

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’बहादुरगढ़(हरियाणा)*********************************************************************** सच ही तो कहा गया है कि जुबान में कोई हड्डी नहीं होती,पर यह गलत और अप्रिय बोलने पर आपकी हड्डियां तुड़वा सकती है,एक बात और शब्दों…

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चीन:बहिष्कार बड़ी तरकीब से धीरे-धीरे किया जाए

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** इस सवाल का दो-टूक जवाब देना आसान नहीं है कि चीनी माल का हम लोग बहिष्कार करें या न करें। जबसे लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाएं…

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राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कराई ‘कोविड-१९’ संकट के दौर में राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी

उज्जैन(मप्र)। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना (उज्जैन) द्वारा कोविड-१९ संकट के दौर में राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के कवियों ने अपनी आशाजनक और…

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मानवता को मरते देखा

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’जयपुर(राजस्थान)**************************************************** केरल में गर्भवती हथिनी की हत्या घटना..... कल मैंने मानव मेंमानवता को मरते देखा,एक गर्भवती हथिनी कोमानवीय पशुता की बलि चढ़ते देखा।कितना निर्मम,कितना पीड़ादायकदर्द सहा था…

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बूढ़ा बरगद

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** बूढ़े बरगद से,क्योंनाता तोड़ रहा है,इसकी शीतल छाँव,क्योंनादां छोड़ रहा है। जिसका तना पकड़ करऊपर चढ़ना सीखा,जिसकी छाँव के बल परधूप से लड़ना सीखा,उड़ना…

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तुम्हें क्या पता

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** मन के झंझावातों का तुम्हें क्या पता!बिखरे जज़बातों का तुम्हें क्या पता। निहारना वो वातायन पहरों, फ़िर लौटना ख़ाली हाथ उन लुटते एहसासों का, तुम्हें क्या पता...।…

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