कुदरत के करिश्मे
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** हर दौर बदल कर भी जीवन न मिटा पाया।कोरोना भला कैसे ये ख्वाब सजा लाया। जीवन का विरोधी बन खुद मिटने चला आया,कुदरत के…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** हर दौर बदल कर भी जीवन न मिटा पाया।कोरोना भला कैसे ये ख्वाब सजा लाया। जीवन का विरोधी बन खुद मिटने चला आया,कुदरत के…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** आज भारत ही नहीं,पूरा विश्व ही इस कोरोना की चपेट में आया हुआ है। कितने घरों से तो पूरा परिवार ही साफ हो गया। कितने लोग ऐसे भी…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ****************************************** जान लड़ा जो अन्न उगाता,कृषक कहाता है,सकल देश को धन्य कराता,कृषक कहाता है। आँधी,तूफाँ,गरमी,वर्षा,हर मौसम जो श्रम करता,कर्मठता का नीर नहाता,कृषक कहाता है। धरती माँ…
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** ग्रीष्म अवतरित हो रही,सूरज करता हास।अपनी परिमल छोड़कर,जाने को मधुमास॥ मैं बलशाली कह रहा,अधर भरे मुस्कान।अरे ग्रीष्म का राज है,सूरज को अभिमान॥ नींबू जल पीते रहो,अमृत है…
क्रिश बिस्वालनवी मुंबई(महाराष्ट्र)******************************** अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे,अभी दिवस का पहर शेष हैराग-द्वेष मन,भरा क्लेश है,उर के अन्ध-विवर में अब भीसुलग रही भीषण कामाग्नि,मेरे अन्तर का दावानल ढल जाने…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* बन्द हुई सारी दुकानें,बन्द हुए सारे बाजारबचा नहीं आटा झोली में,नहीं बची रोटी दो-चार।आँतों में भी आग लगी है,अम्मा मुझको भूख लगी है…॥ दूर-दूर तक…
डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** बहुत पहले सुनी थी एक कहावत,कहा करते थे दादी और नानीहोते हैं 'ढाक के तीन पात',बाद में पिताजी ने पकड़ ली उनकी बात।कहते रहते हैं ढाक के तीन…
एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* अंधेरा है रात है जंग है पर हमको लड़नी है,इस महामारी पर जीत हमें हासिल करनी है।हिफाज़त से निकल कर आना दौर से बाहर-जिंदगी सबकी सलामत भी…
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** होती गर मैं अमर-लता तोहाथ हजार बनाती।बीते दिन जो प्यारे सुंदर,वापस मैं ले आती॥ रोग शोक को दफना देती,साँस-साँस महकाती।जीवन कीच हटा दुनिया की,सरसिज ताल खिलाती॥ ले कर…
डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस’ विशेष.... माँ, इस 'मातृ दिवस' के अवसर पर आपसे कुछ कहना है। माँ,आपका दिन किसी एक दिन का मोहताज़ नहीं है,पर यदि महिला…