‘कोविड’ जहर बनता गया

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* आज कोविड जहर देख बनता गया,संक्रमण से मनुज नित्य मरता गया। क्या बिगाड़ा भला इस मनुज ने कहो,साँस मांगी मगर नित तड़पता गया। वेवजह तो नहीं…

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लेखन-समाजसेवा के लिए उप-मुख्यमंत्री द्वारा गोपाल चंद्र मुखर्जी सम्मानित

बिलासपुर (छग)। १८ अप्रैल को 'विश्व शांति सम्मेलन' का आयोजन श्रीनगर(कश्मीर) घाटी में शेरे-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेन्टर में आयोजित किया गया,ताकि विश्व आतंकवाद से भय मुक्त हो सके। 'वर्ल्ड बुक…

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कभी कम न होगी तुम्हारे शब्दों की सुरभि…

श्रद्धांजलि:स्व. डॉ. नरेन्द्र कोहली ◾राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद(भारत)-प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र कोहली के निधन से बहुत दु:ख हुआ। हिंदी साहित्य जगत में उनका विशेष योगदान रहा है। उन्होंने हमारे पौराणिक आख्यानों…

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भोर तो होनी है…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* हार के बाद ही तो जीत की सौगात होगी,भोर तो होनी है कितनी ही लम्बी रात होगी। ज़हर उगलेंगी कब तक ये कातिल हवाएँ,फिज़ाओं में…

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मेरा राम…

ऋतुराज धतरावदाइंदौर(मध्यप्रदेश)**************************************** मेरा रामबंद नहीं है किसी मंदिर में,ना ही नजर आता हैवह किसी नारे में,इन दिनों जब देखता हूँ अस्पतालों में…या सड़क पर दौड़ती एम्बुलेंस में,तेजी से गुजरती ऑक्सीजन…

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ब्रज अधिपति गोपाल

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************* ब्रज अधिपति गोपाल हे,सुन लो आज पुकार।प्रेम-भक्ति आशा लिए,आया तेरे द्वार॥ श्री हरि रूप अनन्त है,जैसा भी हो जाप।सकल चराचर जीव में,कृष्ण समाये आप॥ संगम…

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कलेजे की बेबसी

मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* माँ…माँ…मैं आ रहा हूँ माँ…मैं आ रहा हूँ माँ…चीख रहा था साहिल। उसकी चीख की गूंज ने दिल्ली के नुमाइन्दों की कुर्सी तक हिला कर रख दी थी।…

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दर्द की पराकाष्ठा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** दर्द के दरिया में बहते जा रहे हैं।घूँट आँसू के निगलते जा रहे हैं। वक्त ऐसे घाव देता जा रहा है,दर्द अनचाहे ही सहते जा रहे…

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तैयारी अभी अधूरी है

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* लिखना मेरी मजबूरी है,सरकारी ध्यान जरुरी है।कोरोना से लड़ने वाली,तैयारी अभी अधूरी है॥ जनता अब सारी रूठी है,क्यों उसकी किस्मत फूटी है।सरकारी दावों की देखो,अब डोर…

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रामकथा के मौलिक दृष्टा नरेन्द्र कोहली

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************** श्रद्धांजलि आधुनिक युग में नरेन्द्र कोहली ने साहित्य में आस्थावादी मूल्यों को स्वर दिया है। सन् १९७५में उनके रामकथा पर आधारित उपन्यास 'दीक्षा' के प्रकाशन…

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