ग़ज़ल और कलाकृति को एक साथ साधने का नाम विज्ञान व्रत

मंडला(मप्र)। लोगों में यह गलत भ्रम फैलाया गया है कि जो समझ में ना आए,वह आधुनिक कला है। हमें हर चीज दिखलाई नहीं पड़ती,किंतु उसका अस्तित्व होता है !अमूर्त से मूर्त की शैली तथा अनकहे शब्द को कह देने का इशारा ही आज की कला है।सिद्धेश्वर के संयोजन में ‘मेरी पसंद:आपके संग’ के तहत वरिष्ठ … Read more

संवेदना एक वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** जीवन में संवेदना,लाती है मधुमास।अपनाकर संवेदना,मानव बनता ख़ास॥ संवेदित आचार तो,है करुणा का रूप।जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप॥ संवेदित सुविचार से,मानव बने उदार।द्वेष,कपट सब दूर हों,बिखरे नित उपकार॥ अंतर्मन में नम्रता,अधरों पर मृदु बोल।करती है संवेदना,जीवन को अनमोल॥ रीति,नीति हमसे कहें,बनना सद् इनसान।आएगी संवेदना,पाए जीवन मान॥ हो संवेदित पौंछ दो,आँसू,दो … Read more

अर्धनार-सा मनुष्य

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** स्त्री है ना पुरुष हैअर्धनार-सा मनुष्य है,मर्दानी और स्त्रैण में-भाव क्यों विरुद्ध है। खंड है तो खंडन क्योंलिंगभेद आडंबर क्यों,पूज्यनीय अर्धनारीश्वर-स्वयं भाव क्यों अवरुद्ध है! वंश में यह दंश क्योंपुरुषत्व ही अंश क्यों,मर्दानी में ये मर्द क्यों-स्त्रैण क्यों विरुद्ध है! चाव है,भाव हैबराबर के उर घाव है,एक हाथ शुद्ध तोदूसरा क्यों अशुद्ध … Read more

पैसे पेड़ पर नहीं उगते

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** आज शर्मा जी बहुत खुश थे। वह जल्दी घर पहुँचना चाहते थे,जिससे घर जाकर खुश खबरी सुना सकें। उनकी अकेली लाड़ली बेटी शुचि का सम्बन्ध इतने बड़े घर में होने जा रहा था। सचिन इंजीनियर था और अगले महीने विदेश जा रहा था। सचिन के माँ-बाप उसकी शादी करने की जल्दी में … Read more

कबीरदास जी की जयंती पर नई क़लम ने कराई काव्य गोष्ठी

इंदौर (म.प्र.)। ‘धीरे-धीरे रे मना,धीरे सब कुछ होय,माली सींचे सौ घड़ा,ऋतु आए फल होए॥’ कबीरदास जी द्वारा रचित उपरोक्त दोहा धैर्य व संतोष की शिक्षा देता है। ऐसे ही विरले कबीरदास जी की जयंती पर उनके साहित्य को नमन् करने हेतु संस्था नई क़लम ने ऑनलाइन साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया |इस काव्य गोष्ठी … Read more

योग से ही मनुष्य का स्वास्थ्य

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* सभी मिलकर करते हैं मित्रों योग दिवस का सम्मान,योग से ही है मनुष्यों का स्वास्थ्य,शरीर की पहचान। इसलिए करते रहिए आप योग,बने रहिए निरोग,योगा के डर से भागेगा सब,भारी से भारी रोग। रीत आधारित योग दिवस पर,लिखी मैंने कविता,मुझे देख के मेरा बच्चा साथ में योग करता रहता। मैं शाम-सुबह हमेशा,रोज … Read more

बचाई तितलियाँ हमने

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* सदा नफरत की लहरों पर उतारी कश्तियाँ हमने।ठिकाना जल गया बेशक बचाई बस्तियाँ हमने। जहाँ बेहाल जीना हो गया था सख्त कलियों का,जले थे हाथ बेशक पर बचाई तितलियाँ हमने। हवा बेदर्द होकर कर के अगर दीपक बुझाती थी,रखी थी बादलों से कुछ चुराकर बिजलियाँ हमने। जमी थी धूल रिश्तों पर … Read more

राजनीति महज ‘भविष्य’ या वैचारिक संघर्ष का मंच ?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और दल में ब्राह्मण चेहरा रहे जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने पर कांगेस नेता शशि थरूर ने एक सवाल उठाया था कि क्या राजनीति विचारविहीन भविष्य (कॅरियर) हो सकती है ? क्या सियासी दल बदलने से व्यक्ति की वैचारिक प्रतिबद्धता भी आईपीएल में दल … Read more

बादल

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ काले बादल छा गये,नभ में चारों ओर।घूम रहे पक्षी सभी,बच्चें करते शोर॥ शीतल चलती है हवा,तन-मन भी मुस्काय।बूँद-बूँद बरसे जमीं,मन हर्षित हो जाय॥ सुंदर दिखते बाग हैं,लहराते हैं फूल।बारिश बूँदें देख कर,पत्ते जाते झूल॥ छायी सावन की घटा,आयी है बरसात।सोचे मानव देख कर,कैसे बीते रात॥ सूखे सूखे वृक्ष के,मन … Read more

मुझे पत्थर ही रहने दो

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* मत छुओ मुझेमुझे पारस नहीं बनना,मैं पत्थर ही सही हूँ। पारस बनकर,मैं अहंकार में भर जाऊंतिजोरी या संदूक में बंद,अस्तित्वहीन मैं हो जाऊंमन ही मन में इतराऊं।इससे अच्छा,मुझ पत्थर को पत्थर ही रहने दोमैं पत्थर ही सही हूँ। किसी कामिनी,मानिनीया वैरागिनी के पैरों तले,आह या वाह कीसार्थकता बनूं।नदी के किनारे,नाव से उतरते-चढ़ते,किसी … Read more