हे माँ विद्या दायिनी

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. हे माँ विद्या दायिनी,तुम वीणापाणि…।श्वेत पद्मासिनी ,आओ ठाकुराणी…॥ तुम्हरी कृपा से मैया,बुद्धि का वरदान मिले।मूक भी वाचाल हुए और,शब्दों की बगिया खिले॥ सर्व…

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प्रकृति क्रुद्ध

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************ भारत देश,विरोध का विरोध-न परदेश। प्रकृति क्रुद्ध,ग्लेशियर टूटा-मन न शुद्ध। उन्हें सुविधा,मरे श्रम श्रमिक-न ही दुविधा। परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैL २६ जून १९७३ में…

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शब्दों का खेल

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बाबू जी,माँ का हाथ पकड़ कर बच्चों की तरह रोये जा रहे थे,-'बीनू की माँ मुझको छोड़ कर मत जाना। देखो तुम्हारे बिना मैं जिंदा नहीं रह पाऊँगा।'माँ…

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अपनों से दिल घबराने लगा

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ जाने कैसा समां अब छाने लगा है,कि अपनों से दिल घबराने लगा है। पड़ती नहीं थी कभी जिन पर नजरें,अब उन्हीं पर ही प्यार आने…

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बसंत…तुम जब

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)******************************************** बसंत तुम जब आते हो,प्रकृति में नव उमंग,उन्माद भर जाते होहवाएं चलती हैं सुगंध ले करजीवन में खुशबू बिखराते हो।बसंत तुम जब आते हो… कितने नए…

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प्रतीक्षा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** करते-करते इंतजार अब सूख चुका आँखों का पानी,इस बहार के मौसम में भी मुझको लगती है वीरानी।दीवाना दिल बात न माने हरदम तेरा नाम पुकारे,राह निहारूँ…

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लंदन तक थर्राता था

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** आदर्शों के साँचे में वो,सहज सरल ढल जाता था,किन्तु तनिक त्योरी चढ़ती तो,लंदन तक थर्राता था।जिसने सत्य-अहिंसा को अपना हथियार बना डाला-ऐसा पुण्य विलक्षण जीवन,सबके मन को…

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विवेकानंद महान

दिव्यांशा ठाकुरगोड्डा (झारखंड)************************************* भारत के उन संत को देखो,कितने थे वह महानविश्व शांति के दूत थे वह,नारा दिया गरीब कल्याण। 'युवा दिवस' पर बात करें हम,जुड़े धर्म से,हो आत्म उत्थानमानवता…

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दिनचर्या में भी जी सकते हैं देशभक्ति को

इंदौर (मप्र)। राष्ट्रप्रेम हृदय से होता है,इसे किसी बाहरी आवरण या प्रदर्शन की आवश्यकता नहीं होती। साधारण जीवन व्यतीत करके भी हम रोजमर्रा की दिनचर्या में देशभक्ति को जी सकतेहैं।यह…

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हर कर्तव्य का बोध होना आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ********************************************** बोध होना अति उत्तम है,परंतु बोध क्या होना चाहिए ? वह सृष्टि की संरचनाकर्ता अर्थात ईश्वर के उपरांत सभ्य समाज को गहनता से…

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