पत्थर जैसा कठोर
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* तेरी चाहतें और तेरी हसरतें,सभी भुला दिया है मैंनेप्यार करती थी मैं तो,तुमसे लेकिन तुमबेवफा निकले,पत्थर जैसेकठोर। तुम क्या जानोगे प्रीत है क्या,तुम तो परदेसी जो ठहरेखोया तुमने रुमाल को,छुप के नाम लिखप्यार से भेजा,भुला दियाकठोर पत्थर जैसा दिल है तुम्हारा,तुम रंग बदलने वाले होझूठी बातें करते हो,वादा तोड़नेवालेतुम मनचले,कहाते होकठोर। … Read more