कब आओगे मोहना

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* कब से राह निहारती,बैठी यमुना पार।कब आओगे मोहना,छलके आँसू धार॥ माधव तुमसे दूर रह,हुई बावरी आज।मन मेरा लागे नहीं,दर्शन दो ब्रजराज॥ गैया तुझ बिन दीन है,ग्वाले सब बेहाल।सूना सूना वन यहाँ,आओ यशुमति लाल॥ जै हो कृष्ण मुरार की,जै हो श्री घनश्याम।करता हूँ वंदन तुम्हें,माधव आठो याम॥ कान्हा मेरे साँवरा,नटखट नंदकिशोर।चित्त … Read more

सरकारी विद्यालय बेहतर बनाम निजी

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** ये हमेशा वाद-विवाद का प्रश्न रहा है कि सरकारी विद्यालयों की पढ़ाई निजी विद्यालयों से बेहतर क्यों नहीं होती है। सरकारी विद्यालयों में निजी विद्यालयों से कम सुविधाएं क्यों उपलब्ध रहती है ?दरअसल,सरकारी विद्यालय वो होते हैं,जिन पर पूरा नियंत्रण सरकार का होता है। यानि बच्चों केपाठ्यक्रम से लेकर अध्यापक की नियुक्ति भी … Read more

सेवा में सद्भाव समाहित

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************** सेवा में सद्भाव समाहित,कर्मों का सम्मान है।सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पोंछकर,जो देता है सम्बलपेट है भूखा,तो दे रोटी,दे सर्दी में कम्बल।अंतर्मन में है करुणा तो,मानव गुण की खान है,सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है…॥ धन-दौलत मत करो इकट्ठा,कुछ नहिं पाओगेजब आएगा … Read more

रखवाले,अब से नहीं जमाने से हैं

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* बागों के माली रखवाले,अब से नहीं जमाने से हैं।कलियों पर काँटों के ताले,अब से नहीं जमाने से हैं। मिली कहाँ पूरी आजादी,खंडित हिंदुस्तान मिला है,सरहद पर शोणित के नाले,अब से नहीं जमाने से हैं। वातावरण आज भारत का,घुटन भरा बतलाते हैं जो,विषधर असली वो ही काले,अब से नहीं जमाने से हैं। … Read more

नेपाली राजनीति अधर में

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* नेपाल की सरकार और संसद एक बार फिर अधर में लटक गई है। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने अब वही किया है,जो उन्होंने पहले २० दिसंबर को किया था,याने संसद भंग कर दी है और ६ माह बाद नवंबर में चुनावों की घोषणा कर दी है। याने प्रधानमंत्री के.पी. ओली को कुर्सी में … Read more

सकारात्मकता का संचार करे,ऐसे साहित्य का सृजन करें

लोकार्पण…… इंदौर (मप्र)। वर्तमान ‘कोरोना’ दौर में लोगों में इस महामारी को हराने का जज़्बा पैदा करें ऐसे साहित्य की समाज को जरुरत है। नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता का संचार करे,ऐसे साहित्य का सृजन करें।यह बात डॉ. बूलाकार ने डॉ.स्वाति सिंह की पुस्तक ‘शब्द विहीन’ कविता संग्रह के अखंड संडे द्वारा आयोजित ऑनलाइन लोकार्पण … Read more

बचा रहे अस्तित्व

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** बचा रहे अस्तित्व स्वयं का,पड़ी सभी को अपनी-अपनीहम एक-दूजे से सभी जुड़े,साथ-साथ रह जिंदगी कटनी। मेल-जोल जब सब सोच रखें,‘मैं’ की पोटली खोल भी दे‘हम’ की प्रेम धार बहे तो,सहअस्तित्व तुला तोल भी दे। सुख-दु:ख नित साथ हो जाते,दुःख हो जाते आधे-आधेमानव जीव प्रकृति सब पूरक,मिल रह ना,जा भागे-भागे। मेरा अस्तित्व तू बचा … Read more

वर्तमान में नैतिकता की बहुत आवश्यकता

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)************************************** यह संतोष और गर्व की बात है कि देश वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्र में आशातीत प्रगति कर रहा है। विश्व के समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देशों से टक्कर ले रहा है और उनसे आगे निकल जाना चाहता है, किंतु प्रगति के इस उजले पहलू के साथ एक धुंधला पहलू भी है,जिससे हम छुटकारा चाहते … Read more

प्रेम की बजने लगी शहनाई

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* निर्दयी ‘कोरोना’ रूप विकट चहुँ दिशि दिखे उत्पात,लॅाकडाउन है दुःख,कृन्दन अब मानव तन पर आघातमैं पूर्व भ्रमण स्मृतियों में डूबा हुआ था आज,हे गिरिधर यशोदा नंदन कर सुख- शांति का प्रभात। भ्रमण को मुझको शौक बड़ा गया था हरिद्वार,मसूरी,रशियन के संग हो छवि मेरी,इच्छा हो गई तब पूरीअंदाज निराला था उसका … Read more

मासूम माँ

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ अपने जब शत्रु हो जाते हैं,वो बड़े भारी पड़ जाते हैं।हारना तो निश्चित हो जाता हैहम बहुत बेबस हो जाते हैं।घर-घर महाभारत चल रही है,आज भाइयों के साथ-साथ,बहू भी सास को छल रही है,जो हम कमाए बरसों-बरस से-बहू एक दिन में छीन रही है।क्यों बहू को सास नहीं सुहाती,वही तो बहू को ब्याह … Read more