पृथ्वी हूँ मैं

असित वरण दास,बिलासपुर(छत्तीसगढ़)*********************************************** पृथ्वी हूँ मैं,मौन रहतीएक नीलेपन में,चंचल रहतीछलछल बहती शिशु नदी में।निःस्तब्ध देखती,पर्वत शिखर परसूर्यकिरणों का,निर्बाक उत्तरणअभिमानी वर्फ़ का,पिघलकर यूँ हीएक नदी में,अनायास रूपांतरण।देखती रहती,पर्वत शिखर से अग्नि उदगारअंतस सलिला में अहंकार का,विलय निरंतर।वृक्ष जितने हैं मेरे,बाहु बंधन मेंहै आश्रय,जीवन रक्षक,मेरे ही अचूक मूल मंत्र में।उठाया कुठार तुमने औरलहू बहाया वृक्ष वक्ष से।नदी,झील … Read more

सम्मान समारोह १० जून को

नागदा(मप्र) | वैश्विक महामारी कोविड की समयावधि में साहित्यिक विचार-विमर्श की आभासी संगोष्ठी के निरन्तर शिक्षा,साहित्य,संस्कृति के लिए संकल्पित संस्था ‘शिक्षक संचेतना‘ ने १०० आयोजन पूरे कर लिए हैं। महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने बताया कि,इस अवसर पर अपने तकनीकी पदाधिकारी एवं समारोह संचालकों को १० जून शाम ५ बजे सम्मान पत्र दिए जाएंगे।

युग नया आएगा

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  ***************************************** प्रभाती कोई दूर पर,गा रहा हैबढ़ो सामने युग नया,आ रहा है।नयी रुपरेखा बनी,जिंदगी कीनयी चाँदनी अब,खिलेगी खुशी की।हृदय मानवों का भरेगा,नमन शत धरा कोगगन,अब करेगा।नया चन्द्रमा शान्ति,बरसा रहा हैनया ज्ञान का सूर्य,मुस्का रहा है।पगों में सभी के,अतुल शक्ति होगीमन में सभी के,नवल भक्ति होगी।सुधा धार में वेग,सा आ रहा हैतृषित-सा मनुज … Read more

उनकी नजर

आदर्श पाण्डेयमुम्बई (महाराष्ट्र)******************************** नजरें उनकी थीं,प्यार हमारा थातुमने यूँ ही नहीं,अपने बालों को संवारा था।तुमने हमें यूँ देखा तो,लगा किसी ने टोका था।पर हमें क्या पता,वो मोहब्बत नहीं,दिल्लगी का इशारा था॥

बता क्या

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* जिंदगी बड़ी हसीं है तुझे पता क्या,न हो मरना तो जीने का मजा क्या। रेत-सा फिसलता है वक्त हाथों से,फिर भी घड़ी में तेरी बता बजा क्या। फिक्र में घुलता एक बेटी का बाप,उसके मर्ज की है कोई दवा क्या। सुबह-शाम चिंता है चंद निवालों की,मजदूर के हालातों का तुझे पता … Read more

तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज

पर्यावरण दिवस पर कवि सम्मेलन सरगुजा (छग)। कलम की सुगंध छंंदशाला के तत्वावधान में पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत के अनेक राज्यों से रचनाकारों ने इसमें प्रतिभागिता की। रचना ‘तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज’ को खूब पसंद किया गया।मंच संचालिका अनिता मंदिलवार ‘सपना’ ने बताया … Read more

‘हार हमें स्वीकार नहीं’ से जगाया श्रोताओं में विश्वास

मंडला(मप्र)। साहित्यिक संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन ने ‘कोरोना’ से पीड़ित मानवता में विश्वास पैदा करने हेतु ‘हार हमें स्वीकार नहीं’ विषय पर काव्य समागम किया। इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से सबका हौंसला बढ़ाया।संस्था के संस्थापक डॉ. राजीव कुमार पाण्डेय ने कविता पाठ करते हुए कहा-‘बातें करते आँख डालकर,करते नहीं कभी मनुहार। जंग जीतने … Read more

मैं लड़की हिन्दुस्तानी

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************** कर दूँ,मैं सत्य कल्पनाएं,मैं आशा कि वो ज्योति हूँ,जग में जिसका न मोल कोई अनमोल सीप की मोती हूँ। द्रौपदी-सी नहीं लाचारी,हर एक पुरुष पर भारी हूँ,कभी ना बुझी चिंगारी जो,वो श्रेष्ठ अलौकिक नारी हूँ। पति प्राणों की,रक्षा जो करे,मैं वही सती सावित्री हूँ,कात्यायनि मैं जीवनदायिनि दुर्गा अम्बे गायित्री हूँ। मैं … Read more

सरगुजा की साहित्यकार अनिता द्वारा नवल छंद का आविष्कार

अंबिकापुर-सरगुजा(छग) | अम्बिकापुर की व्याख्याता और साहित्यकार अनिता मंदिलवार ‘सपना’ ने हिन्दी साहित्य में नए छंद का आविष्कार किया है। गुरूदेव संजय कौशिक ‘विज्ञात’ के मार्गदर्शन में कलम की सुगंध छंदशाला मंच पर पंच परमेश्वर छंद मर्मज्ञों की उपस्थिति में इस ‘सपना सवैया’ छंद को मान्यता दी गई।इस नवल छंद पर ५० से अधिक छंदकारों … Read more

राजनीति का खेल

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* राजनीति के खेल में,पिसते सदा गरीब।वोट माँगकर दीन का,जाते नहीं करीब॥ सत्ता पाना है हमें,एक यही बस लोभ।मरते नित्य गरीब पर,कभी न करते क्षोभ॥ दौलत की भरमार है,फिर भी चूसें खून।खून-खराबा हो रहा,सत्ता बना जुनून॥ जात-पात की आड़ में,लूटें छल से वोट।सत्य कर्म से दूर है,मन में बसता खोट॥ बिना काम … Read more