श्रीमती सिन्हा की स्मृति में हुई स्पर्धा

हरियाणा। राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान द्वारा श्रीमती कमला सिन्हा की स्मृति में अखिल भारतीय साहित्यिक प्रतियोगिता आयोजित की गई। संस्था के राष्ट्रीय महासचिव रूपेश कुमार ने बताया कि,श्रीमती सिन्हा के प्रथम स्मृति दिवस पर आयोजित इस प्रतियोगिता में सभी प्रांतों से साहित्यकारों ने भाग लिया। सभी की रचनाएँ काबिले तारीफ थी। गरिमा विनीत भाटिया,डॉ. महताब … Read more

किरदार बौना हो गया

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आदमी का आजकल किरदार बौना हो गया है।जिंदगी का फलसफा अब तो ‘करोना’ हो गया है। ढो रहा है आदमी कांधे सगों की लाश यारों,मरघटों तक लाश लाना बोझ ढोना हो गया है। जो कभी सरदार थे सालिम हमारे गाँव भर के,रोग के कारण ठिकाना एक कोना हो गया है। पक्ष … Read more

जीवन

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:चौपाई आधारित १६-१६ मात्रा तू ही जग का भाग्य विधाता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ तेरी महिमा अनंत भगवन।तू ही छिपा हुआ अंतर्मन॥आज हरो दु:ख जग संजाता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ दयावान तू ही है कर्ता।तू ही धर्ता तू ही भर्ता॥करुणामय तू ही निर्माता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ तू निर्मोही निर्विकार तू।सखा … Read more

एहसासों की रंगोली

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** फूलों से कुछ रंग चुराकर,मांग ली सूरज से लाली।मोरपंख तूलिका सतरंगी,आ तस्वीर बनाएं आली। कोयल की हम कुहुक उतारे,झरने का संगीत उकेरे।पत्तों से छन-छन कर आती,उपवन की वह धूप घनेरे।नृत्य दीप करते पलकों पर,एहसासों की मना दिवाली।आ तस्वीर बनाएं आली॥ भँवरे से गुंजन उतार कर,हिरनी के ले नयना चँचल।नीरजा की कमनीयता ले,पवन से … Read more

सब दिन नहीं एक समान

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** जीवन की ये रीत तू जान ले इन्सान,दिन सारे होते नहीं यहाँ एक समान। आहट नए की कभी होती ही नहीं,गुजर गए हैं जो कब छोड़े हैं निशान। धूप-छाँव तो आते ही रहेंगे जीवन में,इसीलिए मंजिलें नहीं लगती आसान। अलग-अलग नहीं देखिए ये अंगुलियां,साथ बंधे तो देखिए मुट्ठी में भरे जान। … Read more

देवी जी खुश हैं

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बड़ी मजेदार बात हुई। पत्नी नाराज थी। रोज ही सब्जी पर या अन्य किसी ना किसी बात पर चक-चक होती थी। महाराज जी खुद अपने सिंहासन पर विराजमान रहते थे और छोटी-छोटी कमी ढूँढ कर मीन-मेख निकालते थे। पत्नी अपनी मर्जी से मनचाही सब्जी भी नहीं बना सकती। क्या … Read more

सुख रहे घर-परिवार से

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… साथ घर-परिवार के रह सर्वदा।पीर होती,काम आते हैं सदा। सत्य ही तो एक बस आधार है।प्रेम बसता है जहाँ परिवार है॥ आस है विश्वास सुंदर है यहाँ।स्वर्ग से बढ़कर खुशी बसता जहाँ। दु:ख कहीं तो सुख जहाँ मिलकर सहे।एकता समभाव की धारा बहे॥ मातु का आशीष तो वरदान … Read more

भूल गए उस परम्परा को

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… सदस्य तो हम सब हैं,एक ही परिवार केआसमान तो एक छत है,जन्म दिए हैं माँ धरती।सब-कुछ दिए हैं प्रकृति,जो जीने के लिए जरूरीइंसान है मेरी पहचान,ईश्वर का श्रेष्ठ निर्माण।तब भी हम वापस में लड़करटुकड़ों-टुकड़ों में बसाया घरचारों तरफ ईंटों की दीवार,छोटी-सी छत,मेरा संसार।सिमट गया हूँ अपनों में आप,छोड़ … Read more

वसुधा को परिवार बनाएं

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… ममता,समता,शुचिता से युत,नव-नूतन संसार बसाएं।सामाजिक चेतना जगाकर,वसुधा को परिवार बनाएं॥ खूब बढ़ा विज्ञान किंतु क्यों,भ्रातृ-भावना मुकर गई है ?कलुष,कालिमा चढ़ जाने से,शक्ति हमारी बिखर गई है॥जगत हमारा,हम जग से हैं,जगती को महकाएंगे हम।साथ रहेंगे मिल-जुल कर के,हर क्षण हाथ बटाएंगे हम॥ कहीं विषमता दे न दिखाई,समता की रस धार … Read more

वक़्त दिखायेगा आईना

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जीवन में मिलता मक्कार क्यों है।होते दोगले उसके व्यवहार क्यों है। बेचारी मासूम मछली काँटे में फंस गई,जिंदा होती मछली शिकार क्यों है। लूटने के लिये ज़ालिम ढूँढते भोले-भालों को,इंसानी सूरत में रहते खूँखार क्यों हैं। ख़ुदा कब फ़ना करेगा इन वहशियों को,जिनकी बातों में रहता हथियार क्यों है। गुड़ जैसी मीठी जुबाँ … Read more