बाबूजी की सायकल
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. लम्बी दौड़ लगाती थी,थकती-न थकाती थीबाबूजी की सायकल,हमको बहुत भाती थी। बिन खर्चे चलती रहती,हृदय चाप सही रखतीजिम बिना व्यायाम थे,बोल बिना बातें करती। दुर्घटना वह दूर रखती,गिर जाए थोड़ी लगतीपर्यावरण सच्ची साथी,भारी बोझ भी न डिगती। जिंदगी जब रुलाती थी,डॉक्टर वो बैठा लाती थीहैंडल में … Read more