सरल नहीं है कर्म
संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सरल नहीं है कर्म यहांगरल कर्म भाव है,धर्म की राह पर भी-धर्मराज पितृ न छाँव है। दोष पितृ मढ़े गएअपनों को ही मार कर,संग हरि थे वो सभी-उर लगे तब भी घाव हैं। राजपाट मिल गयाबचें न घर पाँव है,धर्म की विजय हुई-मातम कर्म भाव है। पराक्रम और कर्म सेजो थे वो … Read more