मुझे बहुत ही भाती थी
विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. मेरे पिताजी की साईकिल,मुझे बहुत ही भाती थीट्रिन-ट्रिन करके घंटी बजती,घर पर जब वो आती थी। खेल-खिलौने लेने जाता,मेला मुझे घुमाती थीबड़े ठाठ से मुझे बिठा कर,चक्कर नित्य लगाती थी। रोज सवेरे संग पिता के,वो भी दफ्तर जाती थीरुके बिना सभी काम करती,आमदनी ना … Read more