प्रकृति को अपनी निजी संपत्ति ना समझें-डॉ. जोशी

पुस्तक लोकार्पण…. इंदौर (मप्र)। प्रकृति आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पास अमूल्य धरोहर है। हम इसे अपनी संपत्ति ना समझें।यह बात अखंड संडे के तत्वावधान में वरिष्ठ लेखक और पर्यावरण प्रेमी हरमोहन नेमा के तीसरे काव्य संग्रह ‘प्रकृति और मैं’ के ऑनलाइन लोकार्पण अवसर पर सुप्रसिद्ध वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ.ओ.पी.जोशी ने कही। क्षरण होते पर्यावरण … Read more

माँ

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** हूँ बेटी,कभी अहसास ही न होने दिया तूने माँपरवरिश में तेरी,क्या बेटा और क्या बेटीथे सदा एक समान माँ। आँचल का स्नेह और,बेलन की फटकार में भीकहां रखा था अंतर तूने माँ। मधुर वाणी और,ममता बरसाने में भीकहां कसर रखी है तूने माँ। तेरे कटु शब्दों में भी तो,तेरा प्यार … Read more

आत्मविश्वास ही सफलता

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** मुसीबत का पहाड़,कितना भी बड़ा होपर मन का यकीन,उसे भेद देता हैमुसीबतों के पहाड़ों को,ढहा देता हैजो अपने कर्म पर,भरोसा रखता है। सांसारिक उलझनों में,उलझा रहने वाला इंसानयदि कर्म प्रधान है तो,हर जंग जीत जाएगाऔर हर परस्थिति से,बाहर निकल आएगा। लिखता है कहानियाँ,सफलता की इंसानगिरा देता है पहाड़ों को,अपने आत्म विश्वास सेऔर … Read more

आरक्षण:व्यवस्था में परिवर्तन आवश्यक

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** क्या आरक्षण का लाभ सभी वंचितों को मिल रहा है ? इसका जवाब होगा-नहीं,तो इसके लिए अनारक्षित वर्ग जिम्मेदार है ? वो क्यों होगा ? उसका आरक्षण से क्या लेना-देना है ?आरक्षण के निर्माण का उद्देश्य वंचित, शोषित, पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा में लाना था,पर आज आरक्षित वर्ग के समुदाय के लोग अज्ञानता … Read more

पौध उगाते रहिए

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’जयपुर (राजस्थान) ******************************************** वक्त की धरा पर सपनों की मखमली,पौध उगाते रहिएमन के आँगन से अहम-वहम को बुहार,रिश्ते निभाते रहिए।घर के आँगन में कोई रह न जाए अकेला,अपनेपन का जाम पिलाते रहिएअपनों के बीच कुछ कुछ बोझिल मन की,बातें सुनते-सुनाते रहिए।उसे भी होंगे हमसे,अपने गिले-शिकवे,नादां समझ मिटाते रहिए।वक़्त का क्या भरोसा,नालायक-जिगरी से मिलते-मिलाते … Read more

‘पेड़ से दोस्ती कोई करता नहीं…’

मंडला(मप्र)। कोरोना काल भी कवियों की आवाज़ रोक न पाया और घर बैठे कवियों ने गूगल मीट पर कविताओं का आनन्द लिया। एक से बढ़कर एक रचनाएँ पढ़ी गई। बारिश की फुहारों के मध्य रोमांचित कवियों ने विविध रसों की कविताएं पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस कवि सम्मेलन के विशेष अतिथि धीरेन्द्र जोशी (महू) … Read more

जंगल नाम दूं…?

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** फैल रहे हैं ये शहर,देख-देख कर मैं हैरान हूँ,हर तरफ है भीड़,पर लगता खुद को वीरान हूँबसे जा रहे हैं ये शहर,इनको ही मैं जंगल कहूँ,या उजड़ गए जो इन्हें बसाने,उसे जंगल नाम दूं। घने हरे-भरे विशाल जंगल,बने एक कहानी अब,रो रहे हैं ये जमीं-ये आसमां,दांस्ता सुनानी अबलूट के हरियाली,इन बसे … Read more

समझा दे मुझे

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** कुछ समझ आता नहीं तू लिख के समझा दे मुझे।इश्क़ के दस्तूर क्या हैं यार ‘बतला दे मुझे। राहे ह़क़ से कोई आख़िर ‘कैसे भटका दे मुझे।मैं दीया तो हूँ नहीं जो फूँक भड़का दे मुझे। तू तो मेरी जानेमन है तू तो कर ‘ऐह़सान कुछ,दाग़ ‘दे या ज़ख़्म दे,पर सबसे … Read more

सारी उम्र गुज़ारी मृगतृष्णा में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************* सारी उम्र गुज़ारी हमने,जीवन मृगतृष्णा में हारीसब जीवों में मानव उत्तम,पायी पलभर जीवन प्यारी। लोभ मोह फँस झूठ-कपट में,सब खुशियाँ सुखद गँवायीसब शान्ति प्रेम मुस्कान अधर,हमने लालच पड़़े मिटाई। पद सत्ता चाहत रख मन में,हमने घृणा द्वेष फ़ैलाईहिंसा दंगे धोखा अविरत,जग मानवता मूल्य घटाई। संवेदशून्य आगत विपदा में,इन्सानियत ज़मीर … Read more

पुष्प और इंसान

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** पुष्प प्रकृति का दिया,हमको एक वरदान हैइसको मत समझो निर्जीव,इसमें भी जान है। पुष्प और इंसान का,गहरा नाता हैपुष्प खुशी और गम,दोनों में साथ निभाता है। मिलती है जीत तो,पुष्पों का हार पहनाया जाता हैमर गए तो अर्थी को,पुष्पों से सजाया जाता है। पुष्प को हम भगवान को,अर्पित करते हैंअपने … Read more