नित दीप्त रहो
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** नित दीप्त रहो तम क्या रहना,सुन रात नहीं दिन का कहना। पथ कंटक दूर करो कर फूल,सुनो कुछ और नहीं चुनना। सदराह चलो पग और न मार्ग,समझो तुमको न कभी चलना। सुनना माधुर्य कान सदा,तुम दूर सदा चुगली रहना। नयना तुम सुंदरता जग की,निरखो कुछ और नहीं तकना। मति अहार विहार भला रखना,शुभ … Read more