मन का दर्पण
प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ मन का दर्पण साफ रख,खड़ा हुआ है आज।सच्चाई का सामना,पूरा करते काज॥ नारी का श्रृंगार है,सजती है दिन-रात।बैठ पिया के सामने,करती मीठी बात॥ मन के अंदर मैल है,मुखड़ा यूँ चमकाय।मीठी-मीठी बात से,मन को बहुत लुभाय॥ दर्पण से खेले नहीं,आती गहरी चोट।रख सच्चाई सामने,मन में जितना खोट॥ मन के अंदर … Read more