रोको दहेज के रोग को
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* अन्तर्मन घबरा जाता,सुन के दहेज के लोग को,मिल के सब भाई-बहना,रोको दहेज के रोग को। दहेज के चलते सखी,मेरी बेटी भी मारी गई,ना जाना धन लोभी है,बेटी देने ओ द्वारे गई। अपनी प्यारी बिटिया को मैं बड़े प्यार से पाली थी,रो-रो कर कहती है माँ,वह हँसमुख भाव वाली थी। पढ़ा-लिखा महाविद्वान,वर … Read more