मन का दर्पण

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ मन का दर्पण साफ रख,खड़ा हुआ है आज।सच्चाई का सामना,पूरा करते काज॥ नारी का श्रृंगार है,सजती है दिन-रात।बैठ पिया के सामने,करती मीठी बात॥ मन के अंदर मैल है,मुखड़ा यूँ चमकाय।मीठी-मीठी बात से,मन को बहुत लुभाय॥ दर्पण से खेले नहीं,आती गहरी चोट।रख सच्चाई सामने,मन में जितना खोट॥ मन के अंदर … Read more

किसान की पीड़ा

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* मिला खून माटी उगाता हूँ दाने,यही साधना मैं इसी का पुजारी,नहीं धूप देखूँ-नहीं छाँव देखूँ,पड़े पाँव छाले नहीं है सवारी। न बेटा पढ़ा है-न बेटी पढ़ी है,नहीं आड़ कोई न कोई बसेरा,मरूँ भूख से या चबा जाय कर्जा,नहीं रात देखूँ न देखूँ सवेरा।न देखूँ उजाला न ओढ़ा दुशाला,फिरूँ रात भागा यही … Read more

सहनशीलता के संग ज़मीर की जंग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************** सहनशीलता के संग ज़मीर की जंग सदैव ही मानवजाति के पुरुषार्थ,संयम,धैर्य,साहस,आत्मबल और आत्मविश्वास की परीक्षा मानी जाती रही है। जीवन में कर्तव्य पथ पर रहते हुए मनुष्य को अनेक बाधाओं,निन्दा और अपनों द्वारा प्रदत्त अपमानों और दुःखों को सहना पड़ता है। तब लोगों के धैर्य और विश्वास डगमगाने लगते … Read more

वाणी

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** वाणी से पहचान है,वाणी ही व्यवहार।सोच-समझ कर बोलिये,सार सार कर सार॥ वाणी लखे चरित्र से,वाणी लखे विचार।वाणी से ही जीत है,वाणी से ही हार॥ वाणी से झगड़े मिटे,वाणी छैड़े जंग।वाणी से नफरत करे,वाणी से ही रंग॥ वाणी प्रेम बढात है,वाणी फैले द्वेष।वाणी साधारण रखे,वाणी करे विशेष॥ वाणी से ऊंचा बने,वाणी से … Read more

जनता लाचार नहीं

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ पापियों को क्या धिक्कार नहीं।उनका जीना क्यों दुश्वार नहीं। सज्जन लोग क्यों चुप रह जाते हैं,सच बोलने का उनको अधिकार नहीं। जो देश खा रहे भीतर ही भीतर,क्या वो दल नेता ग़द्दार नहीं। जब सत्ता सब सरकार के पास है,ऐसे में क्या जनता लाचार नहीं। चुप रहना भी तूफ़ान का संकेत है,क्या लोकतंत्र … Read more

घोंसले

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** पर्यावरण दिवस विशेष….. नमिता खिड़की में बहुत देर से उदास खड़ी हुई थी। आज के बाद अब सुबह का चिड़ियाओं का चहकना,कबूतरों की गुटरगूं और काम वाली काकी की झुंझलाहट-अरे कितनी भी सफाई करूं,ये चिड़िया और कबूतर कितनी गन्दगी करते हैं। अब सब पेड़ और हरियाली चली जाएगी। कल से यहाँ दीवार … Read more

मानव जीवन न व्यर्थ गंवाना साथी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** मानव जीवन आज मिला है,इसे न व्यर्थ गंवाना साथी।जीवन दीप कर्म है बाती,उजियारा बिखराना साथी॥ जीवन पाकर भूल न जाना,करना प्यार सभी अपनों कोपूर्ण हमेशा करना तुमको,सबके मन चाहे सपनों को।महत्वपूर्ण है कर्म यही,अपना धर्म निभाना साथी॥जीवन दीप कर्म… आयेंगी बाधायें कितनी,लेकिन टूट नहीं तुम जानातोड़ मुश्किलों की जंजीरें,जीवन पथ पर … Read more

मानवता के दुश्मन

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** कुछ आग लगा देश यहाँ फूँक रहे हैं,भ्रम खेल रहे,रोज खड़े भौंक रहे हैं। वे मानवता के बन दुश्मन दर्द बेचे,सेवा कर इंसान कई जूझ रहे हैं। सच गठ्ठर बंधा नाले पड़ा रोय कहीं पर,इतरा कर बन काबिल चल झूठ रहे हैं। गंगा में दिखे लाश कहीं लाश में गंगा,जो सोच वही बोल … Read more

मित्रता-एक आत्मीय सम्बन्ध

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’राजकोट (गुजरात)*************************************** संसार में एक ही रिश्ता ऐसा होता है,जिसका चयन व्यक्ति खुद करता है,बाकी सब रिश्ते तो पहले से ही निश्चित होते हैं। माँ,पिता,भाई,बहन,चाचा,मामा… सब रिश्ते जन्म के साथ ही निर्धारित होते हैं,बस मित्रता ही एक ऐसा इकलौता रिश्ता है जिसका चयन व्यक्ति खुद मर्जी से कर सकता है,मतलब यह जबरदस्ती … Read more

‘मेरे पिताजी की साईकिल’ पर सुरेन्द्र सिंह राजपूत और आशा गुप्ता प्रथम विजेता

स्पर्धा में दूजा स्थान मिला श्रीमती चाँदनी अग्रवाल और ममता तिवारी को इंदौर(मप्र)। कोपलों को प्रोत्साहन,हिंदी लेखन को बढ़ावा और मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा में हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार के प्रयास सतत जारी हैं। इस क्रम में ‘मेरे पिताजी की साईकिल’ (अंतरराष्ट्रीय साईकिल दिवस) विषय पर स्पर्धा कराई गई। इसमें प्रथम विजेता सुरेन्द्र … Read more