लगाएँ वृक्ष हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** विश्व पर्यावरण दिवस हुआ विषम पर्यावरण,ग्रस्त रोग समाज।वृक्ष लगाओ मिल पुनः,देश बचाओ आज॥ खुद जीवन का रिपु मनुज,खड़े मौत आगाज।बिन मौसम छायी घटा,वायु प्रदूषित आज॥ भागमभागी जिंदगी,बढ़ते चाहत बोझ।सड़क सिसकती जिंदगी,वाहन बढ़ते रोज॥ चकाचौंध उद्यौगिकी,नभ में फैला धूम।जले पराली खेत में,मौत प्रदूषण चूम॥ चहुँदिक् है फैला तिमिर,भेद मिटा निशि … Read more

आज की दुनिया

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* आज की दुनिया कैसी हो गई,मत पूछो।प्रेम भावना कहाँ खो गई,मत पूछो॥ मानव तो अब रहा न नेहिल,बिखर रहे अरमानप्यार-वफ़ा की रही न क़ीमत,सोया है इंसानसारी ही अब हँसी खो गई,मत पूछो।आज की दुनिया कैसी हो गई,मत पूछो…॥ स्वारथ का बाज़ार गर्म है,बिकता है ईमानलाशों के ठेके होते हैं,करुणा का … Read more

आओ धरती का करें श्रृंगार

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* पर्यावरण दिवस विशेष….. आओ सब मिल पेड़ लगाएं,पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं। आओ धरती का करें श्रृंगार,करें पुन: प्राणवायु का संचार। धरती को हम सब सरसाएं,जगह-जगह पर पेड़ लगाएं। धरनी को जल पूर्ण बनाएं,पर्यावरण में संतुलन बनाएं। जीव-जंतु को स्व मित्र बनाएं,सुखमय सुंदर चरित्र बनाएं। जग को समझें अपना … Read more

सिसकी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** जब मन की पीड़ा,आँसू बन करगालों पर आती है,यही सिसकीकहलाती है। सिसकते हैं हम,बिछड़े प्रियतम की यादों मेंखो जाते हैं हम याद कर,उनकी बातों में। आँसू सिसकी की,शान बढ़ाते हैंबिना रुके,गिरते जाते हैं। कुदरत के आगे,नहीं चलती किसकीदुखी आत्मा की आवाज,होती है सिसकी। कौन याद करता है,ये हिचकियांबयां करती है,और … Read more

अपनी धरती सजा लें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** पर्यावरण दिवस विशेष…… चलो आज हम अपनी धरती सजा लें।इसे फिर से पहले जैसी बना लें॥ रहे जिन्दगी भर ये ‘पर्यावरण’ दिन,सभी इन विचारों को दिल में जगा लें।चलो आज हम… हमें कितना कुछ ये देती हमेशा,मगर हम करें इसका दोहन हमेशा।कभी सोचते न लिया तो दिया क्या,रहेगी धरा … Read more

उर स्वर तरंग कैसे लाऊं…

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** बिखरुँ तो बिसर जाऊंया बिसर के बिखर जाऊं,इंद्रियां समेटूं मैं अपनीया इनमें ही सिमट जाऊं। खुद बिसर शिखर पाऊंया बिखर के निखर पाऊं,संकुचित होती उर ज्योतक्या इसी में लिपट जाऊं। निखर शिखर कैसे पाऊंबिसर बिखर कैसे जाऊं,इन्द्रियां शीतल करूं तापया अग्नि विराट भड़का। सजल स्वर कैसे पाऊंउर त्वरित तरंग कैसे पाऊं,मंद गति … Read more

हालात

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************** नदी का किनारा किसे तारता है।कहाँ है हमारी दिशा क्या पता है। बचाएं सभी को निभाएं सहारा,हमारा-तुम्हारा यही वास्ता है। भँवर में फँसे हैं तो कैसे सँभालें,कि जल की दिशा का अता ना पता है। यही आज हालत हुई है जगत की,कि बैठे घरों में स्वमन रोकता है। बचें रोग से … Read more

कल-कल करती नदिया

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ****************************************** पर्वत के वो शिखर से निकलेधरती के सीने पर फिसले,कोई उससे कुछ भी कह लेसबकी बातें हँस कर सह ले।इसकी कहानी कहेंगी सदियां,कल-कल करती बहती नदिया॥ इठलाती-बलखाती चलतीकभी-कभी वो ख़ूब मचलती,उसके जल से दुनिया पलतीहरदम बहती,कभी न थकती।इसकी कहानी कहेंगी सदियां,कल-कल करती बहती नदिया॥ सृष्टि को वो जीवन देतीसबके कष्टों को हर … Read more

पर्यावरण को बचाएं

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** पर्यावरण दिवस विशेष….. कदम से कदम मिलाते चलो,पर्यावरण को बचाते चलोराह में जो भी मिले राही,यह संदेश तुम देते चलो। अभी न बचाओगे पर्यावरण को तो,बहुत तुम सब पछताओगेदिल से वृक्षारोपण करने का,जज्बा तुम जगाओइससे ही चारों तरफ हरियाली आएगी,शुध्द जलवायु फिर मिलने लगेगी। जो भी करे भारत माँ से प्यार,वृक्षारोपण करे … Read more

काश! वो दिन फिर लौट आते

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. जब मैं कक्षा छठवीं में पढ़ती थी,तब मेरे पिता जी के पास एक एटलस की डंडी वाली साईकिल थी। वे उसी से दफ्तर जाते-आते थे। उन दिनों लोग साईकिल ज्यादा इस्तेमाल किया करते थे।हम बच्चे पिताजी की छुट्टी वाले दिन का इंतजार करते थे,क्योंकि रविवार के … Read more